लखनऊ: इस समय एक बार फिर विश्व के कई देशों में कोरोना वायरस (Covid-19) की नई लहर ने लाखों लोगों को शिकार बनाते हुए भय का माहौल पैदा कर दिया है, जहां एक तरफ़ इस भयानक वायरस का प्रकोप लोगों के दिलों में डर बनाए हुए है तो दूसरी तरफ़ आक्सीजन की कमी (Oxygen Crisis) से लोगों में मायूसी और बढ़ती नज़र आ रही है, जहां अस्पतालों में हाहाकार मचा है मरीज़ों में आक्रोश है ऐसे में मशहूर शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद (Kalbe Jawad) ने सरकार के सामने एक अहम प्रस्ताव रखा है, मौलाना कल्बे जवाद ने बड़ा इमामबाड़ा को कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने की पेशकश की है।
मौलाना कल्बे जवाद ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के समक्ष ऐतिहासिक आसिफ़ी इमामबाड़े को कोविड हॉस्पिटल बनाने का प्रस्ताव रखा है। मौलाना जवाद ने कहा कि वैसे भी यह एक इबादत की जगह है और इंसान की जान बचाने से बड़ी और बेहतर कोई इबादत नहीं।
उन्होंने कहा: अगर सरकार को लगता है कि इस स्थान का प्रयोग अस्पताल बनाने के लिए हो सकता है तो सरकार इसका प्रयोग कर सकती है।
जैसाकि सभी जानते हैं कि ऐतिहासिक आसिफ़ी इमामबाड़े के पास अच्छी ख़ासी ज़मीन है और यहां पर हज़ार बेड का कोविड अस्पताल बहुत आराम से बन सकता है।
बड़े इमामबाड़े का सेंट्रल हॉल लगभग 170 फ़ीट लंबा और 53 फ़ीट चौड़ा है, इसमें इसी तरह और भी कई हॉल हैं, जिसमें लगभग हज़ार कोविड बेड का बंदोबस्त हो सकता है।
यह इमामबाड़ा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) से बहुत क़रीब है, मुख्य सड़क होने की वजह से आना जाना भी बहुत आसान है, मौलाना कल्बे जवाद ने अपने प्रस्ताव को रखते हुए कहा इसे मंज़ूर करने में ज़रा भी संकोच नहीं होना चाहिए।
मौलाना कल्बे जवाद ने सरकार से कहा कि इमामबाड़े से हुसैनाबाद ट्रस्ट को करोड़ों रुपये की कमाई हुई है, और वह चाहते हैं कि कोरोना के इलाज में मरीज़ों पर ख़र्च होने वाली रक़म इसी हुसैनाबाद ट्रस्ट के पैसों से अदा की जाए। मौलाना कल्बे जवाद ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह लखनऊ के आसिफ़ी इमामबाड़े को कोविड अस्पताल बना दे, इसके बड़े बड़े हॉल में सैकड़ों मरीज़ों का इलाज हो सकता है,
मौलाना ने ज़ोर देते हुए कहा कि इमामबाड़ा इबादत की जगह होती है और जान बचाने से अहम इबादत कोई और नहीं हो सकती इसलिए सरकार इसे कोविड का अस्पताल बना दे।
मौलाना कल्बे जवाद बड़े इमामबाड़े की आसिफ़ी मस्जिद के इमाम जुमा भी हैं, उन्होंने सरकार से हुसैनाबाद ट्रस्ट की आमदनी का ज़िक्र करते हुए कहा कि ट्रस्ट की इसी इमामबाड़े से करोड़ों की कमाई हुई है।
लखनऊ का यह मशहूर बड़ा इमामबाड़ा या आसिफ़ी इमामबाड़ा नवाब आसिफ़ुद्दौला ने अपने दौर में अकाल के समय 1780 में बनवाना शुरू किया था ताकि आसपास के इलाक़े के अकाल पीड़ित लोगों को इसके द्वारा रोज़गार दिया जा सके।