रूस फिर से सीरिया में अपनी सैन्य मौजूदगी को मज़बूत करने की कोशिश में
नई सीरियाई सरकार के साथ अपने सामरिक ठिकानों को बनाए रखने पर जारी वार्ताओं के बीच, रूसी सेना का एक बड़ा काफिला — जिसमें 40 से ज़्यादा बख्तरबंद और रसद वाहन शामिल थे — रविवार को हमीम एयरबेस से निकलकर टार्टूस बंदरगाह की ओर रवाना हुआ।
लेबनान के अख़बार अल-अख़बार के मुताबिक, दर्जनों ट्रकों वाला यह काफिला कल लाताकिया प्रांत स्थित हमीम एयरबेस से टार्टूस की दिशा में गया और कुछ घंटे बाद सामान लादकर फिर वापस बेस पर लौट आया। काफिले में भारी उपकरण ढोने वाले ट्रक, रूसी बख्तरबंद वाहन (जैसे टैंक और आर्मर्ड कारें) और रसद कंटेनर शामिल थे।
सीरियाई ऑब्ज़र्वेटरी फ़ॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि ये गतिविधियाँ रूस की सीरिया में बढ़ती सैन्य मौजूदगी का हिस्सा हैं। रूसी सेना फिलहाल हमीम एयरबेस और टार्टूस नौसैनिक ठिकाने पर तैनात है।
पिछले एक हफ़्ते में यह दूसरा बड़ा रूसी काफिला है। इससे पहले बुधवार को लगभग 60 वाहनों वाला काफिला देखा गया था। दोनों काफिलों के टार्टूस पहुँचने के बाद बेस पर लौट आने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि, रूस शायद उपकरणों की अदला-बदली या रसद मार्गों की जाँच कर रहा है।
इन काफिलों के वीडियो फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर साझा किए गए हैं, जिनमें उनके सुरक्षित और धीमे मूवमेंट को देखा जा सकता है। कुछ स्थानीय स्रोतों ने बताया है कि ये हलचलें सीरिया की नई सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय में की जा रही हैं, हालांकि लदे हुए सामान — जैसे हथियार, गोला-बारूद या तकनीकी उपकरण — के बारे में पक्की जानकारी नहीं है।
अल-अख़बार ने यह भी लिखा कि 13 अगस्त को टार्टूस के आसमान में एक रूसी लड़ाकू विमान और दो हेलिकॉप्टरों की उड़ान दर्ज की गई थी, जिनके मिशन के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।
ग़ैर-सरकारी सूत्रों के अनुसार, हाल के महीनों में रूस ने हमीम और रूस के बीच उपकरणों के आदान-प्रदान के लिए An-124 और Il-76MD जैसे सैन्य विमान इस्तेमाल किए हैं, जिनकी उड़ानें उल्यानोव्स्क बारातायवका एयरपोर्ट से संचालित होती रही हैं।
मार्च 2025 से रूस, सीरियाई विद्रोही सरकार के साथ अपने ठिकानों को बनाए रखने के लिए बातचीत कर रहा है। 2017 में किया गया 49 साल का लीज़ अनुबंध अभी भी मान्य है, लेकिन बताया जा रहा है कि रूस ने अपने नौसैनिक बेड़े का कुछ हिस्सा कालिनिनग्राद और लीबिया (तबरुक शहर) की ओर भेज दिया है।
ये हालिया गतिविधियाँ ऐसे समय में हो रही हैं जब 30 जुलाई को सीरियाई विदेश मंत्री असअद अल-शैबानी ने मॉस्को की यात्रा की और अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। अल-शैबानी ने कहा कि नई दमिश्क सरकार रूस के साथ “संतुलित संबंध” चाहती है।
सर्गेई लावरोव ने भी अहमद अल-शरअ (अल-जौलानी) को इस महीने मॉस्को में होने वाले रूस-अरब सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और कहा — “हम बेसब्री से सीरियाई राष्ट्रपति की मॉस्को यात्रा का इंतज़ार कर रहे हैं।”


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