रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमार नहीं भेजा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने गुरुवार को एक फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि कि जम्मू में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमार (Rohingya) नहीं भेजा जा सकता।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने रोहिंग्या शरणार्थी द्वारा वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमार नहीं भेजा जा सकता।

दायर याचिका में कहा गया था कि “इन शरणार्थियों को अपने दूतावास द्वारा सत्यापन के बाद भी अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और उन्हें जम्मू उप जेल में रखा गया है।

हालांकि, शीर्ष अदालत के आदेश का यह भी मतलब है कि अब रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेज दिया जा सकता है, याचिका में एक खंड को खारिज कर दिया गया था जिसमें निर्वासन प्रक्रिया को रोकने और रोहिंग्याओं को शरणार्थी कार्ड प्रदान करने की मांग की गई थी।

बता दें कि पिछले महीने जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कठुआ के हीरानगर उप-जेल में विदेशियों अधिनियम के तहत “होल्डिंग केंद्र” स्थापित किए थे, जहाँ पर महिलाओं और बच्चों सहित 168 रोहिंग्या शरणार्थियों को रखा गया है।

ग़ौर तलब है कि म्यांमार में पश्चिमी राखीन राज्य के हजारों रोहिंग्या आदिवासी म्यांमार की सेना द्वारा कथित रूप से किए गए हमले के बाद भारत और बांग्लादेश भाग गए हैं।

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