क़ुरआन जलाने के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव पारित

क़ुरआन जलाने के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव पारित

47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में क़ुरआन जलाने के विरुद्ध 28 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, 12 ने इसका विरोध किया और सात देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार, इस प्रस्ताव का संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने यह तर्क देते हुए विरोध किया कि यह मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उनके विचारों का खंडन करता है।

पाकिस्तान की ओर से पेश प्रस्ताव में पिछले महीने स्वीडन में क़ुरआन जलाने की घटना के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार परिषद के प्रमुख से इस विषय पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने और सभी देशों को ”अपने कानूनों आदि की समीक्षा” करने और उन खामियों को दूर करने का आग्रह किया गया था, जो धार्मिक घृणा की वकालत और अभियोजन में बाधा बन सकती हैं।”

मंगलवार को मानवाधिकार परिषद की आपात बैठक में स्वीडन में क़ुरआन जलाने पर चर्चा हुई, जिसमें ईरान, पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत अन्य इस्लामिक देशों ने क़ुरआन जलाने को धार्मिक नफरत भड़काने वाला कृत्य मानते हुए इसके विरुद्ध जवाबदेही की मांग की।

प्रस्ताव हर प्रकार की धार्मिक घृणा की निंदा करता है और इसके जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता पर जोर देता है। प्रस्ताव में राज्यों से “भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाने वाले धार्मिक घृणा के सभी कृत्यों के विरुद्ध समर्थन करने और उसका मुक़ाबला करने, रोकने और मुकदमा चलाने के लिए कानूनी रास्ता अपनाने का आग्रह किया गया है।

मंगलवार को प्रस्ताव पर बहस के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों ने क़ुरआन जलाने की निंदा की और खुद को मतदान से बाहर कर लिया। कुछ पश्चिमी देशों ने प्रस्ताव के शब्दों में संशोधन की मांग की है। गौरतलब है कि स्वीडन में एक इराकी आप्रवासी ने पिछले महीने राजधानी स्टॉकहोम में एक मस्जिद के बाहर कुरान के पन्ने जला दिए थे, जिससे पूरे मुस्लिम जगत में आक्रोश फैल गया था और ईरान, इराक़, पाकिस्तान सहित कई देशों में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने यह कहकर बहस की शुरुआत की कि नफरत फैलाने वाली भाषा हर जगह बढ़ रही है और समाज के विभिन्न समुदायों और वर्गों को भड़काने और विभाजित करने के लिए ऐसी कार्रवाइयां की जा रही हैं। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि क़ुरआन जलाने की हालिया घटनाएं लोगों को अपमानित करने, बांटने, उन्हें भड़काने और उनके मतभेदों को हिंसा में बदलने के लिए की गई हैं।” उन्होंने कहा कि कानून या व्यक्तिगत आस्था की परवाह किए बिना लोगों को दूसरों का सम्मान करने की जरूरत है।

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