जगतगुरु रामभद्राचार्य और गुलज़ार को मिलेगा 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
नई दिल्ली: ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा की। 58वां ज्ञानपीठ इस वर्ष यह पुरस्कार दो भाषाओं संस्कृत के लिए जगतगुरु रामभद्राचार्य और उर्दू के लिए विख्यात गीतकार गुलज़ार को दिए जाने की घोषणा की गयी है। भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने आईएएनएस को बताया कि सुप्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता के हुई चयन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक में चयन समिति के अन्य सदस्य और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनन्द शामिल थे। बता दें कि सन 1944 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा वर्ष 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।था। देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में विजेताओं को पुरस्कार स्वरुप रुपये 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
1950 में जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं।
वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। वहीं गुलज़ार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं और इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माने जाते हैं।
इससे पहले उन्हें अपने काम के लिए 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।