केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पास किये गए तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को ऐलान किया कि वह 2 अक्टूबर तक गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन करते रहेंगे। केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को काला क़ानून बताते हुए खत्म करने की मांग के साथ किसान पिछले 2 महीने से भी अधिक समय से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा (गाजीपुर बॉर्डर) पर राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले भी राकेश टिकैत कई बार कह चुके हैं कि किसान की घर वापसी तब होगी, जब तीनों कानून को केंद्र सरकार रद्द करेगी।
केंद्र सरकार के आदेश पर किसान संगठनों ने प्रदर्शन स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद करने, अधिकारियों द्वारा किसानों का कथित उत्पीड़न किए जाने के खिलाफ और अन्य मुद्दों को लेकर देशभर में शनिवार को तीन घंटे के लिए ‘चक्का जाम’ किया। चक्का जाम दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटे के लिए रहा। इस दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बंद नहीं करने का फैसला लिया गया था।
याद रहे कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्से के हजारों किसान 70 से अधिक दिनों (26 नवंबर, 2020) से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं (सिंघू, गाजीपुर, टिकरी और अन्य बॉर्डर) पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालाँकि केंद्र सरकार पिछले साल सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बता रही है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे।
जबकि देश भर का किसान इसे अपने लिए जानलेवा बताते हुए अपनी दो मुख्य मांगों- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी बनाने की मांग के साथ लगातार प्रदर्शन कर रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि ये कानून MSP को खत्म करने का रास्ता है और उन्हें मंडियों से दूर कर दिया जाएगा। साथ ही किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के रहमो करम पर छोड़ दिया जाएगा। सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी सिस्टम बनी रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है।