रघुराज सिंह का विवादित बयान, हिजाब पहनें मुस्लिम, जिससे उनकी टोपी और शरीर बचा रहे

रघुराज सिंह का विवादित बयान, हिजाब पहनें मुस्लिम, जिससे उनकी टोपी और शरीर बचा रहे

होली को लेकर यूपी में सियासी बयानों का दौर जारी है. संभल के सीओ अनुज चौधरी के बयान से शुरू हुए इस सिलसिले में अब एक नाम और जुड़ गया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रघुराज सिंह के हालिया बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के पुरुषों को सलाह देते हुए कहा कि यदि वे होली के रंगों से बचना चाहते हैं तो महिलाओं की तरह हिजाब पहनकर घर से निकलें। उनका यह बयान विवाद का विषय बन गया हैl

उन्होंने कहा कि, होली में जिसको रंग से बचना है वह त्रिपाल का हिजाब पहने जैसे मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं वैसे पुरुष भी पहनें ताकि उनकी टोपी और शरीर बचा रहे अन्यथा वह घर पर रहे। उन्होंने कहा कि होली में व्यवधान उत्पन्न करने वालों की तीन जगह हैं ,जेल या प्रदेश छोड़ दे अन्यथा यमराज के पास अपना नाम लिखवा दे।

रघुराज सिंह यहीं नहीं रुके. उन्होंने राज्य स्थित अलीगढ़ में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनने की मांग का समर्थन किया। रघुराज सिंह ने यह भी कहा कि एएमयू में मंदिर बनेगा इन लोगों को बहुसंख्यकों का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि AMU में राममंदिर बने इसकी मांग करता हूं।

इससे पहले, संभल जिले के पुलिस अधिकारी (CO) अनुज चौधरी ने भी इसी मुद्दे पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि शुक्रवार हर साल 50 बार आता है, लेकिन होली साल में सिर्फ एक बार आती है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोग यदि रंगों से बचना चाहते हैं तो वे घर पर ही नमाज अदा करें। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल में जब लॉकडाउन था, तब भी लोग घर में नमाज पढ़ रहे थे। इसलिए होली के दिन भी ऐसा किया जा सकता है।

मुस्लिम समुदाय में नाराजगी

मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने मंत्री के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बताया और कहा कि सरकार को इस तरह की टिप्पणी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए। कई मुस्लिम संगठनों ने मांग की कि होली और जुमे की नमाज को लेकर किसी भी तरह की जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए और सभी को अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

मंतंत्र-मंत्री के वयान पर प्रतिक्रियाएं

मंत्री रघुराज सिंह के इस बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई नेताओं ने इसे सांप्रदायिक बयान बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि इस तरह के बयान समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं और इससे धार्मिक सौहार्द बिगड़ सकता है। हालांकि, भाजपा के कुछ नेताओं ने मंत्री के बयान का समर्थन किया और कहा कि यह बयान किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिया गया है।

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