इज़रायल में लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन, नेतन्याहू के खिलाफ सख़्त नाराजगी
तेल अवीव: बंदी बनाए गए लोगों की रिहाई और युद्ध-विराम के लिए लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को इज़रायली सेना के मुख्यालय तक पहुंचने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों ने इज़रायली सेना के मुख्यालय के बाहर बेगिन स्ट्रीट पर प्रदर्शन किया और सड़कों पर आग जलाकर रास्ता रोकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस की कड़ी कार्रवाई में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए और कम से कम 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
ग़ाज़ा की सुरंग में 6 बंधकों की लाशें मिलने के बाद से इज़रायल में भारी नाराजगी है। रविवार को तेल अवीव और देश के अन्य शहरों में 5 लाख से ज्यादा लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद से यह सिलसिला जारी है। सोमवार को प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के निवास तक पहुंच गए थे, जबकि मंगलवार को उन्होंने इज़रायली सेना के मुख्यालय को निशाना बनाया। बंधकों की मौत के लिए नेतन्याहू को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि नेतन्याहू राजनीतिक लाभ के लिए युद्ध को लंबा खींच रहे हैं, जिसकी वजह से बंधकों की रिहाई नहीं हो पा रही है। हमास ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि युद्ध-विराम के बिना बंधकों की रिहाई नहीं हो सकती।
‘टाइम्स ऑफ़ इज़रायल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को भी तेल अवीव की सड़कों पर हजारों की संख्या में नागरिकों ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ नारे लगाए। इस दौरान बंधकों के रिश्तेदारों ने भाषण दिए और सरकार पर अपनी नाराजगी जताई। हमास की कैद में मौजूद इज़रायली नागरिक एली एल्बाघ के पिता लैरी एल्बाघ ने नेतन्याहू द्वारा युद्धविराम में “फिलाडेल्फिया कॉरिडोर” पर कब्जे को रुकावट बताने को “सबसे बड़ा धोखा” करार दिया। लैरी एल्बाघ ने कहा, “नेतन्याहू सोचते हैं कि इज़रायली जनता बेवकूफ है।” अपने प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा, “आप दो आदमी को तो काबू में रख नहीं सकते और 14 किलोमीटर की जमीन को काबू में रखने की बात करते हैं?”
नेतन्याहू ग़ाज़ा और मिस्र की सीमा पर स्थित इस क्षेत्र में युद्ध-विराम के बाद भी इज़रायली सेना की मौजूदगी पर अड़े हुए हैं। उनकी यह जिद समझौते के रास्ते में रुकावट बन गई है। प्रदर्शनों में शामिल एक व्यक्ति ने एक टी-शर्ट पहन रखी थी, जिस पर लिखा था, “नेतन्याहू इंसानों की बलि चढ़ा रहे हैं।” प्रदर्शनकारियों ने “अभी या कभी नहीं” के नारों के बीच यह नारा भी लगाया कि “सरकार के हाथ बंधकों के खून से सने हुए हैं।”


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