आम आदमी पार्टी का सियासी संकट और संजय सिंह की ज़मानत

आम आदमी पार्टी का सियासी संकट और संजय सिंह की ज़मानत

इस समय पूरे देश में आम चुनाव की धूम है। सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं, लेकिन एक पार्टी ऐसी भी है जिसका नेतृत्व सलाखों के पीछे है और वह अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है। यह है दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी। आम चुनाव का बिगुल फूंकने के बाद इस पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेज दिया गया है।

केजरीवाल फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं और वहीं से सरकारी कामकाज चला रहे हैं। वह अपना ज्यादातर समय तिहाड़ जेल नंबर दो में किताबें पढ़ने और योग करने में बिताते हैं। अदालत के आदेश के अनुसार उन्हें एक डेस्क कुर्सी और एक इलेक्ट्रिक केतली प्रदान की गई है। वह अपना अधिकांश समय ध्यान में बिताते हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि कोई सरकार सलाखों के पीछे से चल है।

शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन भी सलाखों के पीछे हैं, हालांकि पार्टी के तेज तर्रार नेता संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है और वह अपनी घन गरज के साथ चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। उन्होंने शराब घोटाले के लिए बीजेपी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।

उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी को खत्म करने की साजिश के तहत केजरीवाल को जेल भेजा गया है। गौरतलब है कि संजय सिंह पिछले छह महीने से तिहाड़ जेल में बंद थे। ईडी ने उन्हें बिना किसी समन के अचानक गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जेल में रहते हुए ही उन्हें दोबारा राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था, और वह अपनी सदस्यता की शपथ लेने के लिए जेल से ही राज्यसभा सचिवालय पहुंचे थे।

संजय सिंह की रिहाई ऐसे वक्त में हुई है जब आम आदमी पार्टी को चुनावी मैदान में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब लगता है कि ये मुश्किलें कुछ कम हो जाएंगी, क्योंकि संजय सिंह मोदी सरकार के खिलाफ आम आदमी पार्टी के सबसे मजबूत नेता माने जाते हैं, और वह पूरी मज़बूती के साथ अपनी पार्टी के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, लेकिन जिस प्रभावी तरीके से संजय सिंह अपनी बात रखते हैं, वैसा हुनर ​​उनकी पार्टी में किसी और के पास नहीं है।

खुद अरविंद केजरीवाल भी नहीं जानते कि आम आदमी पार्टी इस समय सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रही है। जो लोग बाहर हैं उन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। कैबिनेट मंत्री आतिशी ने आशंका जताई है कि चुनाव से पहले उन्हें, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक और राघव चड्ढा को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। आतिशी ने यह भी दावा किया कि उनसे कहा गया था कि ‘अगर आप अपना राजनीतिक करियर बचाना चाहती हैं तो बीजेपी में शामिल हो जाएं।’

सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को जमानत देकर वाकई आम आदमी पार्टी को बड़ी राहत दी है। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की छूट मिल गई है। आम आदमी पार्टी फिलहाल विपक्षी गठबंधन ‘भारत’ के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। दिल्ली में उसने कांग्रेस के साथ साझेदारी की है और सात में से तीन लोकसभा सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं। इसके अलावा ये दोनों पार्टियां गुजरात, हरियाणा और गोवा में भी मिलकर चुनाव लड़ रही हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस अब पूरी तरह से आम आदमी पार्टी केबचाव में है। इसकी एक झलक पिछले रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में देखने को मिली जब विपक्ष की एक रैली के मंच पर अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल सोनिया गांधी के बगल में बैठी थीं। ये वही कांग्रेस पार्टी है, जिसे 2013 में केजरीवाल ने हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अगर यह कहा जाए कि उस समय कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में केजरीवाल और अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी, तो यह अनुचित नहीं होगा।

लेकिन वो जो कहते हैं कि राजनीति में किसी का कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता, ये बात आज इस स्थिति में पूरी तरह सच है कि इस वक्त दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी से समझौता करके कांग्रेस को एक नई जान भी मिल गई है। वरना कभी दिल्ली में बिना भागीदारी के सरकार चलाने वाली कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को जमानत देते हुए कहा है कि इस जमानत को मिसाल के तौर पर नहीं लिया जाएगा। यानी इस आदेश से जेल में बंद आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं को राहत नहीं मिलेगी और वे जेल में ही रहेंगे। दिल्ली आबकारी मामले में आम आदमी पार्टी के जिन नेताओं को गिरफ्तार किया गया है उनमें सबसे चौंकाने वाली गिरफ्तारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की है। ईडी कोर्ट ने केजरीवाल को पंद्रह दिनों के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है। वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहले मुख्यमंत्री हैं जो सलाखों के पीछे रहकर सरकार चला रहे हैं। इसका ताजा प्रमाण झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं।

पिछले रविवार को केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्षी गठबंधन ‘भारत’ की सफल रैली ने सरकार को इस हद तक प्रभावित किया कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली के पास मेरठ में रैली कर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार से जूझ रहे विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा लेकिन अगले ही दिन अंग्रेजी दैनिक “इंडियन एक्सप्रेस” ने सबूतों के साथ सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की पोल खोल दी। अखबार ने बताया कि कैसे दो दर्जन से अधिक विपक्षी नेताओं को गिरफ्तारी का डर दिखाकर भाजपा में शामिल किया गया और पद दिए गए। दूसरे शब्दों में, जो भी भ्रष्ट नेता भाजपा में शामिल हुआ, उसे उसके पापों के लिए माफ कर दिया गया।

विपक्षी गठबंधन की रैली में पूरे भारत से इंडिया अलायंस के नेताओं ने हिस्सा लिया और अरविंद केजरीवाल के अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरिन के पक्ष में आवाज बुलंद की। इस मौके पर मंच पर इन दोनों नेताओं की पत्नियां बैठी थीं। इस रैली में सभी नेताओं ने देश में लोकतंत्र और संविधान बचाने पर जोर दिया। इस मौके पर अरविंद केजरीवाल की पत्नी ने रैली में अपने पति का संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा है कि ”अत्याचार लंबे समय तक नहीं चलता। अरविंद केजरीवाल को ज्यादा दिनों तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता।

आम आदमी पार्टी ने अपने नेता संजय सिंह को मिली जमानत को सच्चाई की जीत और इसे बीजेपी की हार बताया। दरअसल, जिन लोगों के बीच उनका पालन-पोषण हुआ है, उन्हें राजनीति की गहरी समझ है, यही कारण है कि जब संजय सिंह बोलते हैं तो उनका भाषण बहुत अर्थपूर्ण होता है और सीधे दिल को छू जाता है।

उनके राजनीतिक गुरु वरिष्ठ समाजवादी नेता रघुठाकुर हैं जो आज भी भूमि पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संजय सिंह को एक निडर नेता के रूप में जाना जाता है। उनका बाहर आना आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत है। संजय सिंह की संगठनात्मक क्षमता से कोई इनकार नहीं कर सकता। इसके अलावा ‘इंडिया इत्तेहाद’ के सभी नेताओं ने उनका अच्छा स्वागत किया है। उनकी रिहाई आम आदमी पार्टी के लिए एक अच्छी खबर है और इसका लोकसभा चुनाव में सकारात्मक असर पड़ेगा।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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