अज़ान के खिलाफ याचिका हाई कोर्ट ने सरकार को दिया नोटिस
गुजरात उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर मंगलवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की मांग की है।
अज़ान पर रोक की मांग करते हुए याचिकाकर्ता ने साल 2000 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भरोसा जताया है जिसमें ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए थे। यह मामला चर्च ऑफ गॉड (फुल गॉस्पेल) इंडिया बनाम केआर मैजेस्टिक कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन और अन्य के बीच का था।
लाउड स्पीकर पर अजान के खिलाफ गुजरात के गांधीनगर ज़िले के निवासी डॉ धर्मेंद्र विष्णु भाई ने अदालत में याचिका दायर की थी जिस पर मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आग्रह किया है।
राज्य में प्रचलित प्रदूषण कानून के अनुसार लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए डेसिबल की अनुमति के बारे में जब अदालत ने सवाल किया तो याचिकाकर्ता ने कहा कि 80डेसिबल तक ध्वनि की अनुमति है लेकिन मस्जिद है 200 डेसिबल से अधिक के लाउडस्पीकर का उपयोग कर रहे हैं।
कोई भी धर्म या संप्रदाय दावा नहीं कर सकता के प्रार्थना, पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग धार्मिक क्रिया का एक अभिन्न अंग है और यह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि चर्च ऑफ गॉड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार लाउडस्पीकर का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है और किसी भी नागरिक को कुछ ऐसा सुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसे वह नहीं चाहता।
शादी एवं अन्य अवसरों पर बजने वाले बैंड बाजे के कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण के बारे में अदालत में सवाल हुआ तो याचिकाकर्ता ने कहा कि मस्जिदों में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर के विपरीत शादियों में बैंड बजाने के कारण होने वाला ध्वनि प्रदूषण पूरे जीवन काल में सिर्फ एक बार होता है जबकि मस्जिदों से रोजाना शाम 5:30 बजे से रात 9:00 बजे तक ध्वनि प्रदूषण होता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जो लोग इस्लाम धर्म को नहीं मानते उन्हें मस्जिदों से ऐसा प्रदूषण क्यों सुनना पड़ता है ? याचिकाकर्ता ने कहा कि जब गणपति उत्सव के दौरान लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तो मस्जिदों के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता ?याचिकाकर्ता की याचिका में निहित मुद्दे पर विचार करते हुए अदालत ने इस पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए मस्जिदों में लाउड स्पीकर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने का आग्रह किया है।