स्कूल में AC का खर्च पेरेंट्स उठाएं: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल में एयर कंडीशनिंग (AC) का खर्च वहां पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स को उठाना होगा। AC बच्चों की सुविधा के लिए लगाया जाता है। इसलिए, इसका आर्थिक बोझ अकेले स्कूल मैनेजमेंट पर नहीं डाला जा सकता है। कोर्ट ने 2 मई को एक पेरेंट्स की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा कि AC का चार्ज लैबोरेटरी और स्मार्ट क्लास के लिए दी जाने वाली फीस की तरह है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक निजी स्कूल द्वारा कक्षाओं में वातानुकूलन के लिए प्रतिमाह 2,000 रुपये वसूले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। पीठ ने दो मई को पारित अपने आदेश में कहा कि इस तरह का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है और माता-पिता को स्कूल का चयन करते समय सुविधाओं और उन पर आने वाले खर्च को ध्यान में रखना चाहिए।
याचिकाकर्ता (जिसका बच्चा निजी स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ता था) ने तर्क दिया कि छात्रों को एयर कंडीशनिंग सुविधाएं प्रदान करने का दायित्व प्रबंधन का है। इसलिए, इसे अपने स्वयं के धन और संसाधनों से दिया जाना चाहिए। यह देखते हुए कि फीस रसीद में एयर कंडीशनिंग के लिए शुल्क की प्रविष्टि विधिवत दर्ज है, जो छात्रों को दी जा रही है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया स्कूल द्वारा लगाए गए शुल्क में कोई अनियमितता नहीं है। न्यायालय ने कहा कि प्रयोगशाला शुल्क और स्मार्ट क्लास शुल्क जैसे अन्य शुल्कों से अलग नहीं है।
पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत भी शामिल थे। पीएस अरोड़ा ने 2 मई को पारित एक आदेश में कहा कि शिकायतें मिलने के बाद शिक्षा निदेशालय को भी इस मुद्दे पर विचार करना पड़ा। याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी। इसलिए, वर्तमान जनहित याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।