बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उससे हमारे देश के नेताओं को सबक लेना चाहिए: संजय राउत
मुंबई: बांग्लादेश में 15 वर्षों तक शासन करने के बाद, देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना को इस्तीफा देने और देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। वही मुजीबुर रहमान, जिनके सामने उनके परिवार के 17 लोगों को कट्टरपंथियों द्वारा मार दिया गया और ये सब देखने के बाद उनकी भी हत्या कर दी गई। उस समय शेख हसीना महज 28 साल की थीं, जो जान बचाकर भागीं और भारत के रास्ते जर्मनी चली गईं।1981 में शेख हसीना ने फिर वहां पहुंचकर लोकतंत्र की आवाज़ बनीं। सेना द्वारा शासित देश में उन्हें लंबे समय तक नज़रबंद रखा गया।
बांग्लादेश में पिछले महीने कोटा सिस्टम को लेकर शुरू हुआ सरकार विरोधी प्रदर्शन सोमवार को अपने चरम पर पहुंच गया। ढाका की सड़कें, जो पिछले तीन हफ्तों से हिंसा और मौत से दहल रही थीं, उनके देश से बाहर निकलने के बाद जश्न में डूब गईं। शेख हसीना ने फिलहाल भारत में शरण ली है। पड़ोस देश की मौजूदा स्थिति को लेकर भारत में भी तरह-तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। बांग्लादेश के हालात पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी टिप्पणी की है।
पत्रकारों ने जब संजय राउत से हसीना और बांग्लादेश में उपजे हालातों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार ने भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। इंदिरा गांधी के कारण ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई। लेकिन शेख हसीना के बारे में इतना तो कहा ही जा सकता है कि उन्होंने लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही चलाई। लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही चलाने और देश की आजादी को खतरे में डालने वालों को देश की जनता माफ नहीं करती। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उससे हमारे देश के नेताओं को सबक लेनी चाहिए।
बांग्लादेश में भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई
शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत का कहना है कि शेख हसीना प्रधानमंत्री के रूप में नाकाम थीं और बांग्लादेश में तानाशाही चल रही थी। दरअसल, वे इसे भारत सरकार के खिलाफ एक हथियार के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि, ‘बांग्लादेश में भारत जैसे हालात पैदा हो गए, वहां विपक्ष की आवाज दबा दी गई, चुनाव में धांधली हुई। विरोधियों को जेल में डाला गया, कई लोग मारे गये।
जनता तानाशाह को माफ़ नहीं करती: राउत
संसद में अवांछित कानून पारित कर दिए गए। लोग महंगाई से जूझ रहे थे और शेख हसीना नाकाम प्रधामंत्री रहीं। उन्होंने लोकतंत्र का मुखौटा पहनकर तानाशाही से देश चलाया। तानाशाही करने वालों और देश की आजादी को खतरे में डालने वालों को देश की जनता माफ नहीं करती, भारत के शासकों को भी इसके असर के बारे में सोचना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश में भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई। वहां विपक्ष की आवाज दबा दी गई, चुनाव में घोटाले हुए। विरोधियों को जेल में डाल दिया गया। कई लोग मारे गये। संसद में अवांछित कानून पारित किये गये। लोग महंगाई से जूझ रहे थे। इस प्रकार, शेख हसीना प्रधामंत्री के रूप में विफल रहीं। उन्होंने लोकतंत्रिक सिद्धांतों की आड़ में देश को तानाशाही तरीके से चलाया। भारत के शासकों को भी इसके प्रभाव के बारे में सोचना चाहिए।
मोदी सरकार की विदेश नीति विफल: उदित राज
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने बांग्लादेश संकट पर कहा, ‘ये सिर्फ बांग्लादेश का नहीं, पूरे विश्व का मामला हो चुका है. बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि हिंदू वहां असुरक्षित हैं. इसके पीछे आईएसआई और चीन का हाथ है. बीजेपी के नेता जो कह रहे हैं अगर वह सच है तो ये तो हमारा इंटेलिजेंस फेलियर है. हमें कुछ पता क्यों नहीं चला? ये मोदी सरकार की विदेश नीति की विफलता है. हमारे विदेश मंत्री क्या कर रहे थे?’