झारखंड में विपक्षी दल घुसपैठियों का समर्थन कर रहे हैं: पीएम मोदी
झारखंड में चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही प्रधानमंत्री ने अपनी पहली चुनावी रैली में विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला। इस रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जेएमएम, कांग्रेस, और आरजेडी पर देश के प्रति विश्वासघात का आरोप लगाया। उन्होंने यह दावा किया कि ये दल बांग्लादेशी और उन्हें झारखंड में बसाने का काम कर रहे हैं ताकि वे इन्हें वोट के लिए अपने पाले में ला सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि ये पार्टियां झारखंड के हितों की अनदेखी कर रही हैं और केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी नीतियों को बढ़ावा दे रही हैं, जो राज्य की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में स्कूलों में सरस्वती वंदना पर कथित प्रतिबंध और धार्मिक स्वतंत्रता को खतरे में डालने की बात उठाई। उन्होंने इसे राज्य में बढ़ते सांप्रदायिक खतरे का प्रतीक बताते हुए कहा कि जब सरस्वती वंदना जैसे सांस्कृतिक प्रतीक पर रोक लगाने का प्रयास होता है, तो इसका मतलब है कि असहिष्णुता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जब दुर्गा पूजा के दौरान प्रतिमाओं की रुकावट और उत्सवों पर पत्थरबाजी जैसी घटनाएं सामने आने लगती हैं, तब पता चलता है कि राज्य में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कर्फ्यू जैसे हालातों से राज्य की जनता का मनोबल गिर रहा है, और यह सत्ता में बैठे लोगों की विफलता को दर्शाता है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने “लव जिहाद” के मुद्दे को भी अपने भाषण में उठाया, जो हाल के वर्षों में एक संवेदनशील विषय बन गया है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति और झारखंड की बेटियों की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए आरोप लगाया कि राज्य में “लव जिहाद” के नाम पर युवतियों को धोखे में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब बेटियों के साथ शादी के नाम पर धोखा होता है, तब समझ लेना चाहिए कि अब कार्रवाई का समय है। प्रधानमंत्री के इस बयान को उनके समर्थकों ने ताली बजाकर स्वागत किया, जबकि राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक रणनीतिक बयान मान रहे हैं, जिसका उद्देश्य राज्य में हिंदू वोट बैंक को मजबूत करना है।
प्रधानमंत्री का भाषण हिंदुओं के धार्मिक जुलूसों के दौरान अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भड़काऊ नारों और हिंसा की घटनाओं के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि यह भाषण सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ओर ले जा सकता है।प्रधानमंत्री का यह चुनावी भाषण झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य को गर्मा सकता है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके द्वारा लगाए गए आरोपों का विपक्षी दलों की ओर से क्या जवाब आता है। हेमंत सोरेन, जो खुद को राज्य के असली हितैषी और जनहित के पक्षधर मानते हैं, पर यह दबाव बढ़ सकता है कि वे प्रधानमंत्री के इन आरोपों का प्रभावी रूप से जवाब दें।


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