ईडी ने किस आधार पर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया?: कपिल सिब्बल
राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने झारखंड के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है, मुझे लगता है कि भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा कभी हुआ है कि जब एक मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया हो। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर हमला किया और इसे भारतीय जनता पार्टी की साजिश बताया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ हेमंत सोरेन की याचिका पर विचार करने से इंकार करने पर उन्होंने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट को हमें बताना चाहिए कि किन मामलों को लेकर हम यहां आ सकते हैं और किन मामले में हम यहां नहीं आ सकते हैं।
ईडी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “ईडी की विश्वसनीयता पर कई बार सवाल उठाए गए हैं। पहले भी मैंने आपको कई नाम बताए हैं जिन्होंने चुनाव लड़े हैं और खुद बताया है कि उनके खिलाफ कौन से आपराधिक मामले हैं, वे बीजेपी से जुड़े हैं, उनकी सरकारों से जुड़े लोग हैं। उन्होंने कहा, “ऐसे ही कई प्रदेशों की यह जानकारी ईडी को मालूम है, तो वे (ED) वहां कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं?
उन्होंने कहा कि बीजेपी का एक ही लक्ष्य है, विपक्ष को टारगेट करके सत्ता से हटाना। बीजेपी चाहती है कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष प्रचार न कर पाए, जब प्रचार नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से इसके दुष्प्रभाव होंगे। उन्होंने कहा कि, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई। गुरुवार को हमने चीफ जस्टिस साहब को कहा कि इसकी जल्दी सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने शुक्रवार को एक स्पेशल बेंच बनाई। उस स्पेशल बेंच ने हमें कहा कि आप हाईकोर्ट जाइये। वहां आपके खिलाफ कोई आर्डर होता है या आपको राहत नहीं मिलती है तब आप सुप्रीम कोर्ट आएं।
हेमंत सोरेन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था, “इस प्रकार के मामलों में इस कोर्ट को एक संदेश भेजने की जरूरत होती है। यह एक मुख्यमंत्री से जुड़ा मामला है, जिसे गिरफ्तार किया गया है। कृपया सबूत देखिए। यह अनुचित है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कपिल सिब्बल से कहा, ‘‘पहली बात यह है कि अदालतें सभी के लिए खुली हैं। हाईकोर्ट भी संवैधानिक अदालत है, यदि हम किसी एक व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट में आने की अनुमति देते हैं, तो हमें सभी को अनुमति देनी होगी।
कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि, केवल हमें ये जानकारी मिलनी चाहिए कि कोर्ट के द्वारा कि किस मुद्दें पर हमें यहां आना चाहिए और किस मुद्दे पर हम नहीं आ सकते हैं। हमलोगों को नहीं मालूम रहता कि अगर हम ऐसी याचिका डालेंगे तो सुप्रीम कोर्ट इस पर चर्चा करेगी, नहीं करेगी। हमें तो इतिहास का मालूम है, और हमें यह भी मालूम है कि आर्टिकल 32 हमारा एक फंडामेंटल राइट है। उन्होंने कहा कि जनता के सामने कुछ बातें रखना चाहता हूं जिससे साफ जाहिर हो जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट को कोई सिस्टम बनाना चाहिए, कोई पॉलिसी बनानी चाहिए जिसके आधार पर जनता को मालूम हो कि कब सुप्रीम कोर्ट आए और कब नहीं।