ओडिशा रेल दुर्घटना भी सांप्रदायिक साज़िश का शिकार
ओडिशा रेल हादसे से पूरा देश सोग में डूबा है। जिन लोगों ने रेल की पटरियों पर अपने देशवासियों की लाशें देखी हैं उनकी आँखों से लगातार आंसू जारी हैं। हॉस्पिटल घायलों से भरा है, जिनकी सेवा में चौबीस घंटे अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी लगे हुए हैं। अभी लोग अपने परिवार के सदस्यों को तलाश रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ौरन घटना स्थल पर पहुँच कर स्थिति का जायज़ा लेने के साथ साथ हॉस्पिटल जाकर घायलों से मुलाक़ात की। प्रधान मंत्री ने दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाई का आश्वासन दिया। एक तरफ़ पूरे देश में मातम छाया है तो दूसरी तरफ़ कुछ शरारती तत्व इस आपदा को भी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश में अफ़वाहें फैला रहे हैं।
हालांकि ओडिशा पुलिस ने ट्विटर पर यह चेतावनी भी दी है कि अफवाह फैलाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रेल हादसे को c रंग देने के लिए दावा किया गया है कि घटनास्थल के पास मस्जिद है और इसके पीछे मुस्लिम समुदाय के लोगों का हाथ है। जबकि पड़ताल में सामने आया है कि जिस तस्वीर को कुछ लोग सोशिल मीडिया पर शेयर कर उसे मस्जिद बता रहे हैं वह वास्तव में मस्जिद की नहीं, बल्कि मंदिर की है।
यह एक इस्कॉन मंदिर है। मंदिर के प्रमुख चैतन्य चंद्रदास ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा है कि यह मंदिर 2004 से बना हुआ है। जिसका काम है कृष्ण भावना का प्रचार प्रसार करना। उन्होंने कहा कि इसका मस्जिद और मुस्लिम से कोई संपर्क नहीं है।
रेल हादसे को सांप्रदायिक रंग देने वाले ऐसे लोगों को ओडिशा पुलिस ने चेतावनी भी दी है। ओडिशा पुलिस ने ट्विटर पर लिखा है कि कुछ सोशल मीडिया हैंडल शरारती तरीके से बालासोर में हुए रेल हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं।ओडिशा जीआरपी हादसे के कारणों और अन्य सभी पहलुओं की जांच कर रही है। पुलिस ने ट्विटर पर लिखा है कि हम सभी से यह अपील करते हैं कि वे इस तरह के झूठे और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट को प्रसारित करने से बचें।