अब ईवीएम से जुड़ा वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करते ही चुनाव आयोग का शक को अस्वीकार करने वाला संदेश आएगा
लोकसभा चुनाव से पहले EVM पर सवाल खड़े हो रहे हैं। देश भर में चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। चुनाव आयोग ने 5 जनवरी को दो टूक जवाब देते हुए कह दिया कि, EVM से छेड़छाड़ संभव नहीं है। दरअसल कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें EVM को लेकर संदेह जताया था और साथ ही EVM के मुद्दे पर ‘इंडिया’ गठबंधन के एक डेलिगेशन के लिए मुलाकात का वक़्त भी मांगा था। लेकिन चुनाव आयोग ने इनकार कर दिया।
यूट्यूब पर स्वतंत्र कंटेंट बनाने वाले लोगों ने ईवीएम पर शक जताते हुए तमाम वीडियो डाले हैं। कुछ कंटेंट क्रिएटर यानी वीडियो बनाने वालों ने मजबूत दावों के साथ ईवीएम की निष्पक्षता पर संदेह जताया है। कुछ क्रिएटर ने इस पर विशेषज्ञ होने का दावा करते हुए वीडियो बनाए हैं। लेकिन अब हर वीडियो के साथ चुनाव आयोग का संदेश भी वीडियो देखने वाले को पढ़ाया जाएगा।
बता दें कि इससे पहले दिल्ली में EVM को लेकर एक मार्च निकालने की कोशिश की गई। ‘मिशन सेव कॉन्स्टिटूशन’ की कॉल पर पटियाला हाउस कोर्ट के गेट नंबर-4 से चुनाव आयोग के ऑफिस तक ये मार्च जाना था। इस मार्च की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील महमूद प्राचा और भानु प्रताप कर रहे थे। जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया और कुछ घंटे बाद छोड़ दिया गया।
इन सब के बीच सबका ध्यान वीडियो की लोकप्रिय सोशल मीडिया साइट YouTube की तरफ हो गया है। वीडियो की लोकप्रिय सोशल मीडिया साइट YouTube ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के बारे में संदेह पैदा करने वाले तमाम वीडियो के साथ एक “संदर्भ” सूचना पैनल जोड़ा है, जिस पर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) का संदेश आता है। जिसमें ईवीएम और वीवीपैट को लेकर तमाम संदेहों का खंडन किया गया है।
पिछले साल 9 अगस्त को विपक्ष ने जब इस मसले को उठाया तो चुनाव आयोग ने अपनी साइट पर ईवीएम से जुड़े संदेहों को लेकर एक पेज 23 अगस्त 2022 को डाला। जिसमें आयोग ने अपने सवालों के जवाब दिए। लेकिन इसके बाद भी संदेह दूर नहीं हुए। विपक्ष लगातार ज्ञापन देक मामला उठाता रहा। लेकिन आयोग ने आरोपों को खारिज कर दिया। अब विपक्ष की मांग है कि 100 फीसदी वीवीपैट की पर्ची मतदाता को सौंपते हुए इसकी गिनती कराई जाए।
चुनाव आयोग का यह कदम लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आया है, और ऐसे समय में जब विपक्षी इंडिया गठबंधन ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों पर चिंता जताते हुए चुनाव आयोग को कई बार लिखा और ज्ञापन दिए। लेकिन चुनाव आयोग ने सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया। लेकिन चुनाव आयोग जनता के बढ़ते विरोध को रोक नहीं पा रहा है।
5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा के नेतृत्व में कुछ वकीलों ने जंतर मंतर पर ईवीएम के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इन लोगों ने ईवीएम पर तमाम तरह के संदेह जताते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है। इसके साथ ही इन्होंने जनता के सामने ईवीएम हैकिंग का लाइव डेमो भी दिखाया।
अब ईवीएम हैकिंग के उनके दावे में कितनी वास्तविकता है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन यह भी वास्तविकता है कि ईवीएम के मुद्दे पर विपक्ष के साथ ही साथ जनता में भी भ्रम पैदा होने लगा है। जिसे दूर करना ज़रूरी है।