मेरे कंधे पर बंदूक रख कर चलाने का अधिकार किसी को नहीं: जस्टिस सोढ़ी

मेरे कंधे पर बंदूक रख कर चलाने का अधिकार किसी को नहीं: जस्टिस सोढ़ी

क़ानून मंत्री किरण रिजिजू के उस ट्वीट के बाद जिसमे उन्होंने आरएस सोढ़ी के एक इंटरव्यू का वीडियो शेयर किया और कॉलेजियम सिस्टम की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि यह एक जज की आवाज है, इस पर दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ने बहुत ही तल्ख़ टिप्पड़ी की है। सेवानिवृत्त जज ने क़ानून मंत्री को सख़्त हिदायत दे दी। उन्होंने साफ़ शब्दों में क़ानून मंत्री किरण रिजिजू से कह दिया कि वह उनके कंधे पर बंदूक़ रखकर चलाना बंद करें।

इससे पहले क़ानून मंत्री किरण रिजिजू ने दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी के एक इंटरव्यू का वीडियो शेयर किया था, जिसमें जस्टिस सोढ़ी ने कहा था कि क़ानून बनाने की शक्ति संसद के पास है, सर्वोच्च न्यायालय कानून नहीं बना सकता क्योंकि उसके पास ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा, “क्या आप संविधान में संशोधन कर सकते हैं?” संविधान में केवल संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है लेकिन मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक कर लिया है।

दिल्ली हाई कोर्ट के जिस सेवानिवृत्त जज के इंटरव्यू को लेकर क़ानून मंत्री ने न्यायपालिका के अधिकारों पर सवाल उठाया था, आज उन्हीं सेवानिवृत्त जज ने क़ानून मंत्री को सख़्त हिदायत दे दी। उन्होंने साफ़ शब्दों में क़ानून मंत्री किरण रिजिजू से कह दिया कि वह उनके कंधे पर बंदूक़ रखकर चलाना बंद करें। रिटायर्ड जस्टिस सोढ़ी किरण रिजिजू के इस ट्वीट पर ही अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं इस मुद्दे को उठाने के लिए कानून मंत्री को धन्यवाद देता हूं। लेकिन मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। कॉलेजियम प्रणाली असंवैधानिक है।

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में एक सचिवालय होना चाहिए यह मेरी निजी राय है। जस्टिस सोढ़ी ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि यह कैसे हो सकता है कि दो-तीन जस्टिस ही मिलकर तय करें कि कौन जस्टिस बनेगा? कॉलेजियम प्रणाली फेल हो गई है लेकिन संवैधानिक निकायों को न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में सार्वजनिक आलोचना से बचना चाहिए।

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