भारत-चीन व्यापार से इनकार नहीं लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं: एस जयशंकर

भारत-चीन व्यापार से इनकार नहीं लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं: एस जयशंकर

नई दिल्ली: चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बावजूद वहां से आयात में हो रही लगातार वृद्धि पर पहली बार किसी केंद्रीय मंत्री ने भारतीय उद्योग जगत को ही आड़े हाथ लिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को उद्योग चैंबर सीआईआई की तरफ से आयोजित सालाना वार्षिक सम्मेलन में उद्योग जगत को चीन के साथ कारोबार करने को लेकर किसी तरह की रोक लगाने की बात नहीं कही लेकिन बहुत ही स्पष्ट तरीके से यह सीख दी कि उन्हें राष्ट्रीय हितों से जुड़ी संवेदनाओं का ख्याल रखना होगा।

जयशंकर ने शुक्रवार को चीन का संदर्भ देते हुए कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को दाव पर किसी देश के साथ व्यापार को प्राथमिकता नहीं देगा। विदेश मंत्री ने कहा, कुछ देशों के साथ संबंधों को जारी रखने के लिए हमें हमें अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखना होगा। विदेश मंत्री ने कहा, हम अपने लोगों को आत्मनिर्भरता व स्वावलंबन के लिए प्रोत्साहित करते रहेंगे। हालांकि हमने लोगों को चीन के साथ काम करने से रोका नहीं है, लेकिन यदि कोई भारतीय विकल्प उपलब्ध है, तो आपको उसे प्राथमिकता देनी चाहिए।

विदेश मंत्री का बयान यह बताता है कि जिस तरीके से चीन से होने वाले आयात में लगातार वृद्धि हुई है उससे सरकार बहुत सहज नहीं है। अगर सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाए तो वर्ष 2019-20 के बाद से चीन से होने वाले आयात में 44 फीसद का इजाफा 102 अरब डॉलर का हो चुका है जबकि चीन को होने वाला निर्यात तकरीबन स्थिर (16.7 अरब डॉलर) है।

सम्मेलन में उपस्थित भारत के उद्योग जगत के सैकड़ों प्रतिनिधियों की तरफ इशारा करते हुए जयशंकर ने पूछा कि, “क्या आप उसके साथ कारोबार करेंगे जो आपकी ड्राइंग रूप में घुस गया हो और आपके घर को तहस-नहस कर दिया हो।” उनका इशारा चीन की सैनिकों का भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चार वर्ष पहले की गई घुसपैठ से है जिसके बाद द्विपक्षीय रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं।

जयशंकर ने कहा कि, चीन के साथ कारोबार संतुलन एक बड़ा मुद्दा है। यह पिछले 20 वर्षों में पैदा हुआ है। यहां स्पष्ट तौर पर हमें देश के कारोबारी जगत के साथ समस्या है। भारत का उद्योग जगत कीमतों के आधार पर फैसला कर रहा है। कारोबार की अपनी जरूरते हैं लेकिन लंबी अवधि के लिए हमें घरेलू सोर्सिंग व उत्पादन को बढ़ावा देना होगा और इसी आधार पर हमें फैसला करना होगा।

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