भारतीय किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा: प्रधानमंत्री मोदी

भारतीय किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा: प्रधानमंत्री मोदी

मक्का के आयात के संबंध में अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत अपने किसानों के हक में मजबूती से खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल दोनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय किसानों के हितों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक वार्ताओं में अमेरिका ने विशेष रूप से भारतीय बाजार को कृषि उत्पादों के लिए खोलने का मुद्दा बार-बार उठाया है। हाल ही में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए भारत के रुख पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा, “भारत कहता है कि उसकी जनसंख्या 1.4 अरब (140 करोड़) है, तो क्या 140 करोड़ लोग अमेरिका का एक बशल (लगभग 25 किलो) मक्का भी नहीं खरीद सकते? वे हमें अपनी चीजें बेचते हैं, लेकिन हमारे सामान पर ज्यादा आयात शुल्क लगा देते हैं – क्या यह उचित है?”

अमेरिका का मक्का का सबसे बड़ा खरीदार चीन है, लेकिन उसने मक्का की खरीद में बड़ी कमी कर दी है। पहले चीन, अमेरिका का बड़ा सोयाबीन आयातक था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसने अमेरिका से सोयाबीन का आयात घटा दिया। पिछले साल अमेरिका के कुल सोयाबीन निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत चीन ने खरीदा था, लेकिन इस साल अब तक कोई नया समझौता नहीं हुआ है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अमेरिकी किसान अब मक्का की खेती बढ़ा रहे हैं। अब मक्का की अधिक पैदावार अमेरिका के लिए चिंता का कारण बन गई है। निर्यात में कमी के कारण वहां मक्का की कीमतें गिरने लगी हैं और गोदाम मक्का से भर गए हैं।

इसमें एक नया मोड़ तब आया जब 30 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दक्षिण कोरिया में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के दौरान एक अलग बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि, चीन अमेरिकी कृषि उत्पादों का आयात फिर से शुरू करेगा। हालांकि, यह कब से शुरू होगा, यह अभी भविष्य के लिए है। इस बीच अमेरिकी सरकार भारत जैसे बड़े बाजारों पर अपनी नज़रें जमाए हुए है। भारत अब तक अमेरिकी दबाव को स्वीकार नहीं कर पाया है।

विशेषज्ञों के अनुसार इसके दो मुख्य कारण हैं:
1- पहला, भारत में जीन संपादित मक्का (जीएम मक्का) की खेती और व्यापार की अनुमति नहीं है।
2- दूसरा, भारत स्वयं मक्का की उत्पादन में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। अमेरिका और अधिकांश विकसित देश जीएम मक्का की खेती करते हैं। जीएम बीजों को प्रयोगशाला में जीन संबंधी बदलावों के माध्यम से इस तरह तैयार किया जाता है कि वे बीमारियों के प्रति ज्यादा प्रतिरोधी होते हैं या अधिक उत्पादन देते हैं।

भारत के कानून के अनुसार, फिलहाल केवल जीएम कपास की खेती की अनुमति है, जिसे न तो मानव उपभोग के लिए और न ही पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। देश में जीएम सरसों और जीएम बैंगन को अब तक मंजूरी नहीं मिली है। इसी कारण विदेशी व्यापार के महानिदेशालय (डीजीएफटी) केवल उन कंपनियों को मक्का आयात करने का लाइसेंस देता है, जो यह स्पष्ट करती हैं कि आयातित मक्का का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाएगा।

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