न नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाएंगे और न मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे: सुशील मोदी
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के इस बयान के बाद कि राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे में कोई भी इंडिया अलायंस की ओर से पीएम पद के उम्मीदवार बन सकते हैं, बिहार के पूर्व मुख्य्मंत्री और भाजपा के राज्य सभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज़ कसा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार इंडिया अलायंस में किनारे कर दिए जाएंगे।
हालांकि शशि थरूर के इस बयान पर नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस को भ्रम नहीं फैलाने की नसीहत दी गई है। हालांकि, न तो कांग्रेस की ओर से और न ही इंडिया अलायंस के अन्य दलों की तरफ से इस पर कोई रिएक्शन आया है।
स्पष्ट है कि यह खामोशी भी काफी कुछ बयां कर रही है। खास बात यह कि कई बार इशारों में लालू यादव राहुल गांधी को दूल्हा बनने की बात कह चुके हैं। ,ऐसे में शशि थरूर के बयान के बाद अब नीतीश कुमार पर भाजपा भी हमलावर है और कटाक्ष कर रही है। एक बार फिर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार को लेकर तंज कसा है।
सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार में जातीय सर्वे करा लेने के बाद जदयू को लगा कि इससे नीतीश कुमार का कद बढेगा और कांग्रेस-वर्चस्व वाला इंडी गठबंधन उन्हें पीएम-प्रत्याशी मान लेगा, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम लेकर शशि थरूर ने गुब्बारे की हवा निकाल दी है।
सुशील मोदी ने कहा कि थरूर ने कांग्रेस के मन की बात कह दी, जिससे जदयू और राजद दोनों को बड़ा झटका लगा। न नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति में जाएंगे और न बिहार में तेजस्वी यादव के लिए कुर्सी खाली करेंगे। विपक्ष की समन्वय समिति की 13 सितम्बर की दिल्ली बैठक के महीने-भर बाद भी न कोई बैठक हुई, न अगली तारीख तय हुई, जो तीन वर्किंग ग्रुप बने थे, उनकी बैठकें भी नहीं हुईं।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के लिए लड़ाई अभी से शुरू हो गई है और सीट-शेयरिंग तक बात पहुंचने पर इनका कुनबा बिखर जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष की मुम्बई बैठक में सीट-शेयरिंग पर जल्द निर्णय करने का फैसला हुआ था, लेकिन हालत यह है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और ‘आप’ कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।
दिग्गज भाजपा नेता ने कहा कि 14 सदस्यों वाली समन्वय समिति के लिए माकपा ने अभी तक अपना प्रतिनिधि तय नहीं किया है। कांग्रेस के एकतरफा फैसले से विपक्ष की जो भोपाल रैली स्थगित हुई, उसकी भी कोई अगली तारीख तय नहीं हो पाई। जो 24 विपक्षी दल 4 उच्चस्तरीय बैठकों के बाद न नेतृत्व तय कर सके और न सीट साझा करने पर सहमति बना पाये, वे केवल प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करने के नकारात्मक मुद्दे पर देश का भरोसा नहीं जीत सकते। \