अमेरिका से वार्ता न तो बुद्धिमानी है, और न समझदारी: आयतुल्लाह ख़ामेनेई

अमेरिका से वार्ता न तो बुद्धिमानी है, और न समझदारी: आयतुल्लाह ख़ामेनेई

ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई ने वायुसेना और वायुरक्षा कमांडरों से मुलाकात के दौरान कहा: अमेरिका से वार्ता न तो बुद्धिमानी है, न समझदारी और न ही सम्मानजनक, और इसका देश की समस्याओं के समाधान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता; कारण? अनुभव! अब यह एक अनुभव है। हमें इससे सीखना चाहिए। हमने रियायतें दीं, वार्ता की, समझौता किया, लेकिन वह परिणाम नहीं मिला, जिसकी हमें उम्मीद थी। और अंततः, हमारे विरोधियों ने खुद इस समझौते को तोड़ दिया और रद्द कर दिया।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, अमेरिकी वार्ता से देश की समस्याओं को हल करने में कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हमें इसे सही ढंग से समझना चाहिए। हमें यह भ्रमित न किया जाए कि यदि हम अमेरिका के साथ वार्ता की मेज पर बैठ जाएं, तो हमारी समस्याएं हल हो जाएंगी। नहीं! अमेरिका से वार्ता से कोई समस्या हल नहीं होती।

हमने 90 के दशक (ईरानी कैलेंडर अनुसार) में अमेरिका के साथ करीब दो साल वार्ता की। एक समझौता हुआ। हालांकि, अमेरिका अकेला नहीं था, अन्य देश भी शामिल थे, लेकिन वार्ता का मुख्य केंद्र अमेरिका था। उस समय की हमारी सरकार ने वार्ता की—महीनों तक बैठकें हुईं, चर्चा हुई, हंसी-मजाक हुआ, हाथ मिलाए गए, दोस्ताना रवैया अपनाया गया, हर संभव प्रयास किया गया। अंततः एक समझौता बना। इस समझौते में ईरान ने बहुत उदारता दिखाई और अमेरिका को बड़ी रियायतें दीं। लेकिन अमेरिका ने इस समझौते का पालन नहीं किया।

अमेरिकी प्रतिबंध खत्म नहीं हुए
जो व्यक्ति अब सत्ता में है, उसने उस समझौते को फाड़ दिया। उसने कहा था कि वह इसे फाड़ देगा, और उसने ऐसा किया। उससे पहले भी, जिन लोगों के साथ यह समझौता किया गया था, उन्होंने भी इस पर पूरी तरह अमल नहीं किया। यह समझौता अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के लिए था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध खत्म नहीं हुए। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में भी एक स्थिति को अधर में लटकाया गया, ताकि यह हमेशा ईरान के लिए एक खतरे की तरह बना रहे। यह समझौता उन वार्ताओं का परिणाम था, जो दो साल या उससे अधिक चलीं।

हम भी अमेरिका को खतरे में डालेंगे: सुप्रीम लीडर
अमेरिका द्वारा ईरान के तेल नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाए जाने पर ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कड़ा प्रतिक्रिया व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “ईरान ने अतीत में रियायतें दीं, लेकिन अमेरिका ने समझौता तोड़ दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि अमेरिका हमारी सुरक्षा को खतरे में डालता है, तो हम भी उनकी सुरक्षा को खतरे में डालेंगे।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद अमेरिका ने ईरान के खिलाफ पहला प्रतिबंध लगाया है। अमेरिकी वित्त विभाग ने ईरान के तेल नेटवर्क को निशाना बनाते हुए पहले से प्रतिबंधित कंपनियों से जुड़े व्यक्तियों, जहाजों और फर्मों पर नई पाबंदियाँ लगाई हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने आरोप लगाया कि ईरान अपनी तेल आय को परमाणु कार्यक्रम, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन विकास पर खर्च कर रहा है।

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