बीजेपी से आए हुए नेताओं को टिकट न दें, एनसीपी कार्यकर्ताओं की शरद पवार से अपील
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए जनता के साथ-साथ संविधान की रक्षा के प्रति चिंतित सामाजिक संगठनों ने भी पूरी ताकत लगा दी थी। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया गठबंधन’ की सफलता में इन सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी अहम योगदान था, जो गांव-गांव और गली-गली जाकर वोटरों को संविधान का महत्व समझाते रहे और उसकी रक्षा के लिए एनडीए की जगह इंडिया गठबंधन को वोट देने के लिए प्रेरित करते रहे।
लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद की स्थिति को देखकर ऐसा नहीं लगता कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों को बीजेपी से कोई विशेष बैर है, क्योंकि बड़ी संख्या में रोज़ किसी न किसी इलाके से बीजेपी नेता अपनी पार्टी छोड़कर महा विकास अघाड़ी, खासकर शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो रहे हैं। और न सिर्फ उनका पार्टी में गर्मजोशी से स्वागत हो रहा है, बल्कि उन्हें चुनाव का टिकट भी दिया जा रहा है। इससे ‘धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर वोट देने वाली जनता और वोट दिलवाने के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी है।
इसी कारण विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाविकास अघाड़ी के सबसे वरिष्ठ नेता शरद पवार को एक संयुक्त पत्र भेजा है और मांग की है कि महा विकास अघाड़ी, विशेष रूप से एनसीपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी से आए हुए नेताओं को cन दे। अन्यथा वे लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी या एनसीपी के लिए जनता के बीच काम नहीं कर पाएंगे।
मुंबई से संबंधित डॉ. जी जी पारेख, शरद कदम, डॉल्फी डिसूजा, संभाजी भगत, फिरोज मेटीबोरवाला और अर्जुन डांगे के अलावा ठाणे के विश्वास अटगी, सतारा की एडवोकेट वर्षा देशपांडे, सांगली के धनाजी गोख, लातूर के माधव बाउगे, बारामती के सुरेश खोपड़े, धुले के अविनाश पाटिल और पुणे के सुभाष वारे ने यह पत्र शरद पवार के नाम लिखा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि “विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले पर विचार-विमर्श जरूरी है।” पत्र में लिखा गया है कि “लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को बीजेपी से सत्ता से दूर रखने के लिए वोट मिले थे। यह बीजेपी नेताओं द्वारा संविधान में बदलाव के संबंध में दिए गए बयानों पर वोटरों की प्रतिक्रिया थी।” आगे ये सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि “जब बीजेपी की गैर-संवैधानिक गतिविधियाँ चल रही थीं, तब अपनी पार्टियों को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले और हालात बदलने पर लौटकर आने वाले नेताओं को अगर टिकट दिया गया, तो हमारे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा।”
उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है, “हम सामाजिक संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता हैं। जिन विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे (बीजेपी से आने वाले) उम्मीदवारों को टिकट दिए जाएंगे, हम वहां काम नहीं करेंगे। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि “पार्टी को चलाने और बढ़ाने के लिए आपके सामने कई चुनौतियाँ होंगी। इसे हम समझते हैं। लेकिन राजनीति में मूल्य, नैतिकता और विचारधारा महत्वपूर्ण होते हैं। इस बात से आप भी सहमत होंगे। इसलिए इस मामले में तात्कालिक लाभ के बजाय व्यापक हित में विचार किया जाना चाहिए।”
पत्र में इस ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि मुश्किल समय में पार्टी छोड़कर जाने वाले नेता हालात बदलने पर वापस आ रहे हैं और उन्हें टिकट दिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में उन कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा जो मुश्किल समय में पार्टी के साथ डटे रहे। साथ ही कहा गया है कि सारे भ्रष्ट लोग एकजुट हो चुके हैं, अब अगर वे वापस आते हैं तो उन्हें पार्टी में शामिल न किया जाए, अन्यथा हम महा विकास अघाड़ी के लिए काम नहीं करेंगे।