समीर वानखेड़े की छुट्टी पर नवाब मलिक बोले, अभी तो शुरुआत है

समीर वानखेड़े की छुट्टी पर नवाब मलिक बोले, अभी तो शुरुआत है आर्यन खान ड्रग्स केस के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में आया उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।

समीर वानखेड़े के पर कतर दिए गए है। उद्धव ठाकरे केबिनेट मंत्री नवाब मालिक के सनसनीखेज़ आरोपों से घिरे एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर गाज गिर गई है और उन्हें जांच से हटा दिया गया है।

समीर वानखेडे के खिलाफ मोर्चा संभालने वाले नवाब मलिक ने कहा है कि आर्यन खान से जुड़े ड्रग्स के मामले में समीर वानखेड़े की रुखसती तो सिर्फ अभी शुरुआत भर है। अभी बहुत कुछ होगा और हम बहुत कुछ करेंगे।

याद रहे कि नवाब मलिक के आरोपों के बाद भारी विवादों में घिरे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे से क्रूज़ ड्रग्स मामले सहित पांच अन्य मामलों को वापस ले लिया गया है। अब इन मामलों की जांच मुंबई इकाई नहीं करेगी। क्रूज़ मामले से लेकर 5 अन्य मामलों की जांच दिल्ली हेड क्वार्टर ट्रांसफर कर दी गई है। इन मामलों की जांच एनसीबी के उप महानिदेशक आईपीएस अधिकारी संजय सिंह को दी गई है। इन तमाम मामलों की जांच समीर वानखेडे कर रहे थे।

याद रहे कि मुंबई से 2 अक्टूबर को गोवा जा रहे क्रूज़ पर छापा मारकर समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी ने आर्यन खान समेत कई लोगों को बंदी बनाया था। आर्यन खान की गिरफ्तारी और काफी समय तक जमानत न मिलने के बाद यह मामला गरमा गया था और महाराष्ट्र सरकार के कद्दावर मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर एक के बाद एक आरोप लगाते हुए तहलका मचा दिया था।

समीर वानखेड़े को आर्यन ड्रग्स मामले सहित अन्य पांच मामलों से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए नवाब मलिक ने कहा कि यह तो अभी सिर्फ शुरुआत भर है। पूरे सिस्टम को साफ किया जाना जरूरी है। अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। नवाब मलिक ने कहा कि अभी 5 मामलों की जांच केंद्रीय टीम को सौंपी गई है। ऐसे कुल 26 मामले हैं जिनकी जांच होनी चाहिए।

 

नवाब मलिक के हमलावर रुख से सकते में आए समीर वानखेड़े के समर्थन में भाजपा विधायक राम कदम सामने आए हैं। उन्होंने नवाब मलिक पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मंत्री ने समीर वानखेड़े के खिलाफ 24 प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह साबित कर दिया है कि वह ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों के विरुद्ध है। राम कदम ने कहा कि ऐसा अक्सर होता है जब जांच के दौरान किसी अधिकारी पर सवाल उठे तो मामले की जांच किसी अन्य अधिकारी को दे दी जाती है।

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