मुस्लिम पक्ष अपना दावा छोड़कर,ज्ञानवापी हमें सौंप दें: विष्णु जैन
लखनऊ: ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्षकारों ने न्यायिक प्रक्रिया के बाहर सुलह की चर्चा को खारिज कर दिया है। हिंदू पक्ष के वकील और अन्य महिला याचिकाकर्ताओं ने बयान दिए हैं। हिंदू पक्ष की ओर से मुख्य वकील विष्णु जैन ने मीडिया से बात करते हुए किसी भी समझौते से इनकार किया। विष्णु जैन ने कहा कि हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमेटी को बातचीत के लिए कोई निमंत्रण नहीं दिया है। उन्होंने कहा की इस मामले में किसी भी तरह की बातचीत नहीं की जा सकती है।
विष्णु जैन के मुताबिक इस मामले में सलाह के लिए दो लोग एक साथ बैठ कर कोई समाधान नहीं निकाल सकते। मस्जिद कमेटी को सिर्फ एक पक्ष राखी सिंह और उनके वकील जीतेंद्र सिंह ने कोर्ट से बाहर बातचीत का प्रस्ताव भेजा है, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वह इस मुद्दे को अपनी बैठक में रखेगा।
विष्णु जैन ने कहा कि चूंकि मामला प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अदालत में चल रहा है, इसलिए कोई भी पक्ष अपनी मर्जी से बातचीत नहीं कर सकता। ऐसे सर्वेक्षण के दौरान ऐसी चर्चाओं के लिए आमंत्रित करना अनुचित है, जो हिंदू पक्ष को बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।
जैन ने कहा कि किसी भी हालत में समझौता नहीं होगा। न तो हिंदू पक्ष और न ही उसके पक्ष का कोई व्यक्ति समझौते की मेज पर बैठेंगा। वह ज्ञानवापी की भूमि पर एक इंच भी समझौता नहीं कर सकते, यह देवताओं की भूमि है और देवताओं की भूमि पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। बैरिकेडिंग के अंदर एक इंच जमीन हमारे देवता की है। एकमात्र समझौता जो हो सकता है वह यह है कि मुस्लिम पक्ष अपना दावा छोड़ दे और ज्ञानवापी मस्जिद को खाली कर दे और उसे हमें सौंप दे।
विष्णु जैन के मुताबिक, यह एक प्रतिनिधि मुकदमा है और इससे समझौता नहीं किया जा सकता। समझौता का अर्थ है कुछ लेना, कुछ देना। हम भगवान की संपत्ति के संबंध में अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। जो स्थान 300 वर्षों तक हमारे मूल देवता का स्थान था, उसे मस्जिद में बदल दिया जाए तो उसे देने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए किसी भी स्थिति में मुस्लिम पक्ष के साथ समझौते की मेज पर बैठने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने कहा कि अब वह कोर्ट के माध्यम से लड़ाई लड़ रहे हैं और कोर्ट के माध्यम से ही वह अपने पक्ष में फैसला लेंगे. यहां तक कि यदि कोई वादी समझौते के लिए आगे बढ़ता है, तो भी कोई समझौता नहीं हो सकता है, क्योंकि जब तक ये सभी समझौते की मेज पर नहीं आ जाते, तब तक कोर्ट के बाहर किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सकता।
हम किसी भी हालत में समझौता नहीं करना चाहते और न ही करेंगे। हमारी लड़ाई सिर्फ ज्ञानवापी के बारे में नहीं है, हमारी लड़ाई हर धार्मिक संरचना के बारे में है, जो कभी मंदिर थी और मस्जिद बनाने के लिए उसे ध्वस्त कर दिया गया था। हमारी लड़ाई पूजा स्थल कानून के खिलाफ भी है, इसलिए अदालत के बाहर समझौते का कोई सवाल ही नहीं है।


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