मोदी सरकार की नीति, पहले जनता का पैसा लुटाओ, फिर भगाओ

मोदी सरकार की नीति, पहले जनता का पैसा लुटाओ, फिर भगाओ

कांग्रेस ने आज़ाद भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले पर एक बार फिर मोदी सरकार को घेरते हुए ज़ोरदार हमला बोला है।

मोदी सरकार को एबीजी शिपयार्ड की ओर से किये गए 22,842 करोड़ रुपए के देश के सबसे बड़े घोटाले पर घेरते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि देश के चौकीदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में हिंदुस्तान का अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला हुआ है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां रही हैं कि पहले जनता का पैसा लुटाओ बाद में अपराधियों को भगाओ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 15 फरवरी, 2018 को ही मोदी सरकार को बैंक घोटाले के बारे में चेता दिया था, लेकिन फिर भी केस दर्ज करने में इतने साल लग गए ताकि तब तक लोगों के पैसे का अच्छी तरह से गबन हो सके और आरोपी भाग सके।

सुरजेवाला ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह सब मोदी सरकार के नाक के नीचे हुआ और करीब 5 साल बाद सीबीआई द्वारा 7 फरवरी, 2022 को इस संबंध में केस दर्ज किया गया, जिसके लिए एसबीआई की ओर से सीबीआई को दो बार शिकायत भेजी गई।

सुरजेवाला ने हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए खुलासा किया कि किस प्रकार ऋषि अग्रवाल की कंपनी एबीजी शिपयार्ड ने 22,842 करोड़ रुपए का देश का सबसे बड़ा घोटाला किया, जिसमें भारत के प्रमुख बैंक एसबीआई सहित 28 बैंक बैंकों से लोन शामिल है।

मोदी और एबीजी शिपयार्ड के प्रमुख ऋषि अग्रवाल के पुराने संबंधों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री काल में ऋषि अग्रवाल की कंपनी एबीजी शिपयार्ड को सूरत में कम रेट पर जमीन दी गई थी। साल 2013 में मोदी के कोरिया दौरे के प्रतिनिधिमंडल में ऋषि अग्रवाल भी था। यहां तक कि वाइब्रेंट गुजरात में ऋषि अग्रवाल ने मोदी के साथ बैठकर 22,000 करोड़ रुपए के निवेश का वादा किया था।

मोदी सरकार पर देश और आम जनता के पैसे को अपने दोस्तों और कारोबारी मित्रों पर लुटाने के आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने खुलासा करते हुए कहा था कि पिछले लगभग साढ़े 7 साल के दौरान भारत में 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के बैंक घोटाले हुए हैं। इस दौरान मोदी सरकार ने लोगों की 8 लाख 17 हजार करोड़ रुपए की बैंक जमा राशि बट्टे खाते में डाल दी। इन 7 साल में बैंकों के एनपीए में 21 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ। यह सब सरकार के प्रबंधन को और बैंकों में पड़े जनता के पैसे की लूट को दर्शाता है।

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