महाराष्ट्र निकाय चुनावों में महायुति का दबदबा, कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन
महाराष्ट्र में नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों के सभी 288 निकायों के नतीजे सामने आ चुके हैं। घोषित परिणामों और रुझानों के अनुसार राज्य की सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने इन स्थानीय निकाय चुनावों में स्पष्ट बढ़त हासिल की है। बड़ी संख्या में नगर पंचायतों और नगर परिषदों में महायुति समर्थित उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, जिससे गठबंधन की जमीनी पकड़ एक बार फिर मजबूत साबित हुई है।
राज्य की 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव परिणाम घोषित किए गए। शांतिपूर्ण मतदान के बाद हुई मतगणना में कई स्थानों पर कड़े मुकाबले देखने को मिले, लेकिन कुल मिलाकर रुझान महायुति के पक्ष में रहे। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, एनडीए के नेतृत्व वाली महायुति लगभग 218 निकायों में आगे रही, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी केवल 47 निकायों तक सिमटती नजर आई।
इन चुनावों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि राज्य में कृषि संकट, किसानों की वित्तीय परेशानियां और महिलाओं की कल्याणकारी योजनाओं में आंशिक भुगतान जैसे मुद्दे लंबे समय से चर्चा में रहे हैं। इसके बावजूद महाविकास अघाड़ी इन मुद्दों को जनसमर्थन में बदलने में सफल नहीं हो सकी। कांग्रेस ने विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों में अपेक्षाकृत सक्रिय प्रचार किया, लेकिन शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के शीर्ष नेताओं की जमीनी स्तर पर सीमित मौजूदगी का असर उनके प्रदर्शन पर साफ दिखाई दिया।
वहीं दूसरी ओर, महायुति ने आंतरिक मतभेदों और गठबंधन के भीतर तनाव के बावजूद चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच कई जिलों में सीधा मुकाबला होने के बावजूद, दोनों दलों के समन्वय का लाभ गठबंधन को मिला। सिंधुदुर्ग, सतारा, पुणे, नासिक, ठाणे और पालघर जैसे जिलों में आपसी मुकाबले के बावजूद महायुति का कुल प्रदर्शन मजबूत रहा।
भाजपा इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिखी है। शुरुआती रुझानों में पार्टी 100 से अधिक अध्यक्ष पदों पर आगे रही और कई स्थानों पर उसे निर्विरोध जीत भी मिली। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी के भीतर बिखराव साफ नजर आया, जिसका सीधा फायदा महायुति को मिला।
कांग्रेस का प्रदर्शन विपक्षी खेमे में अपेक्षाकृत बेहतर रहा। कई शहरों में पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और भाजपा के खिलाफ सीधा मुकाबला किया, जिसमें उसे कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर सफलता भी मिली। इन नतीजों के बाद आगामी बीएमसी और अन्य बड़े नगर निगम चुनावों में कांग्रेस के अकेले लड़ने के फैसले को लेकर नई बहस शुरू हो सकती है।
कुल मिलाकर, ये नतीजे आगामी बड़े शहरी निकाय चुनावों के लिए संकेत देते हैं कि महायुति फिलहाल मजबूत स्थिति में है, जबकि विपक्ष के सामने संगठनात्मक एकजुटता और नेतृत्व की सक्रियता बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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