भारत सरकार के लिए अब लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प: राहुल गांधी

भारत सरकार की रणनीति के पूर्ण अभाव के चलते अब लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प, Covid-19 in India: 2020 से लगातार हम ने देखा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कोरोना संकट को लेकर मोदी सरकार को चेताया है, सबसे पहले जब पिछले साल चीन और इटली में रोज़ाना हज़ारों लोग कोरोना महामारी से मर रहे थे तब 12 फ़रवरी 2020 को राहुल गांधी ने सबसे पहले मोदी सरकार को यह कह कर चेताया कि यह वायरस जितना हम सोच रहे हैं उससे कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है, सरकार को उससे निपटने के लिए मज़बूत बंदोबस्त पर ध्यान देना चाहिए।

न केवल सरकार ने राहुल गांधी की बात को अनसुना किया बल्कि भाजपा की ट्रोल आर्मी ने राहुल गांधी का मज़ाक़ उड़ाया और साथ ही उसके बाद कई सौ करोड़ का बजट नमस्ते ट्रंप पर ख़र्च किया, जिस समय से लोगों को घरों में बैठ कर कोरोना से बचने की क़वायद शुरू कर देनी चाहिए थी उस बीच सरकार ने न विदेशी फ्लाइट बंद की और तो और नमस्ते ट्रंप कर डाला जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ जमा हुई जिसके बाद गुजरात में कोरोना की भयावह स्थिति सामने आई थी यह और बात है कि मीडिया ने भाजपा शासित प्रदेशों में कोरोना की हालत पर पर्दा ही डाला है।

दिन बीतते गए महीने गुज़र गए हालात भारत में तो कुछ सामान्य हुए लेकिन विदेशों में कई जगहों पर दूसरी लहर ख़तरनाक और भी घातक साबित हो रही थी, उस समय भी राहुल गांधी ने इन्तेज़ाम मज़बूत करने को कहा लेकिन मोदी सरकार और उनके मंत्रियों ने न केवल अनसुना किया बल्कि मज़ाक़ भी उड़ाया… यह और बात है कि कुछ ही दिन बाद राहुल गांधी की कही बात समझ में आने लगी और तैयारी में सरकार जुटने लगी लेकिन अफ़सोस उस समय तैयारी के हवाले से देर हो चुकी थी।

इसके बाद जब वैक्सीनेशन का सिलसिला शुरू हुआ यह भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी सफ़लता थी कि कम समय में कारगर वैक्सीन बना ली लेकिन मोदी सरकार ने उसे पूरे विश्व में यह सोच कर बांटना शुरू कर दिया जैसे भारत में कोरोना मरीज़ न है और न आगे होगा……उस समय भी राहुल गांधी ने ट्वीट कर वैक्सीन को विदेशों में भेजने से पहले अपने देश की जनता की वैक्सीन की ज़रूरत को ध्यान में रखने को कहा, लेकिन इस बार भी पहले की तरह उन्हें अपशब्द कहे गए और हंसी उड़ा कर बात हवा हवाई कर दी गई….. लेकिन 2-3 दिन बाद ही देखने में आया सरकार ने देश में वैक्सीन की कमी के चलते विदेश में भेजना बंद कर दिया है।

वेंटिलेटर, बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन जैसी अनेक समस्याओं पर राहुल गांधी ने सुझाव पेश किए लेकिन सरकार ने राहुल गांधी की बात का केवल मज़ाक़ उड़ाया, यह और बात है कुछ मामलों में बाद में उसी पर अमल करना पड़ा।

उसके बाद अभी 5 राज्यों के चुनाव में जिस तरह रैली करने के लिए भाजपा ने कोरोना प्रोटोकोल की धज्जियां उड़ाई हैं उसे देख कर नहीं लगता कि इनके दिल में थोड़ा भी कोरोना और उससे मरने वालों का ख़्याल है। हज़ारों मौतें होने लगी थीं, लाखों नए मामले आने लगे थे लेकिन भाजपा के नेता मंत्री यहां तक कि प्रधानमंत्री ने रैली करना जारी रखा, जबकि होना तो यह चाहिए था कि प्रधानमंत्री की तरफ़ से बाक़ी पार्टियों को भी संदेश जाता कि इस महामारी को देखते हुए हम सभी चुनावी प्रचार को वर्चुअल तरीक़े से करते हैं, ताकि भीड़ जमा करने से बचा जा सके जिसके नतीजे में कोरोना महामारी को कुछ हद तक रोकने एक प्रयास किया जाए।

राहुल गांधी ने यहां पर भी सबसे पहले अपनी चुनावी रैलियां स्थगित करने का एलान किया यह और बात है कि इसमें राहुल गांधी ने भी देरी कर दी थी, लेकिन भाजपा के जितनी न किसी की रैलियां थीं और न ही उतने नेता और मंत्रियों का इस्तेमाल किसी पार्टी ने किया लेकिन फिर भी किसी एक नेता के समझ में नहीं आया कि इतनी बड़ी संख्या में भीड़ जमा करना जानलेवा और घातक हो सकता है।

भाजपा सरकार की एक के बाद एक इन्हीं लापरवाहियों को देख कर राहुल गांधी ने आज ट्वीट करते हुए कहा: उन्होंने सक्रिय रूप से वायरस को इस चरण तक पहुंचने में मदद की, जहां इसे रोकने का कोई अन्य तरीक़ा नहीं है…… यानी देश में कोरोना इस भयावह स्थिति और इस ख़तरनाक महामारी जो आज इस हालत मे दिख रही है इसके पीछे भाजपा सरकार है।

वेंटिलेटर का आभाव, अस्पतालों की बदहाली, ऑक्सीजन की कमी, दवाओं और इंजेक्शन की कालाबाज़ारी को देख कर ही शायद राहुल गांधी ने ट्वीट के अंतिम भाग में कहा कि भारत के ख़िलाफ़ यह अपराध किया गया है।

ज़ाहिर सी बात है जब देश को ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, अस्पतालों में बेड, दवाओं, इंजेक्शन की ज़रूरत थी तब चुनावी भाषणों में देश का प्रधानमंत्री लगा हो तो ऐसी परिस्थिति में देश की जनता जो अपने घर वालों को अपनी आंखों के सामने मरता हुआ तड़पता हुआ देख रही हो उसका ग़ुस्सा कहीं न कहीं जायज़ होगा।

 

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