‘रामायण और कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो छोड़ दें: इलाहाबाद हाई 

‘रामायण और कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो छोड़ दें: इलाहाबाद हाई 

फिल्म ‘आदिपुरुष‘ इन दिनों विवादों में है और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ काफी शिकायतें आ रही हैं। इस फिल्म के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माता-निर्देशक को फटकार लगाई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फिल्म ‘आदि पुरुष’ के निर्माताओं को फ़टकार लगाते हुए कहा कि, कम से कम ‘रामायण और कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो छोड़ दें।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 जून को पूर्व संशोधित याचिका को कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी. इस मामले में सेंसर बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील अश्विनी सिंह से कोर्ट ने पूछा कि सेंसर बोर्ड क्या करता रहता है? फिल्म समाज का दर्पण है, आप आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारी नहीं समझता? हाईकोर्ट ने फिल्म ‘आदि पुरुष’ के निर्माताओं को फटकार लगाते हुए कहा, ‘कम से कम रामायण ही नहीं, बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को भी बख्श दें। बाक़ी लोग जो करते हैं वह तो कर ही रहे हैं।

इससे पहले आज वकील रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में बहस करते हुए फिल्म में दिखाई गई आपत्तिजनक चीजों और डायलॉग्स का जिक्र किया। सेंसर बोर्ड द्वारा जवाब दाखिल न करने पर वकील रंजना अग्निहोत्री ने आपत्ति भी जताई और फिल्म के आपत्तिजनक कंटेंट के बारे में कोर्ट को जानकारी दी।

रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाया जाना, सीताजी को बिना ब्लाउज के दिखाया जाना, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण की सवारी बताया जाना, विभीषण की पत्नी को सुशीन वैद्य के स्थान पर लक्ष्मण को संजीवनी देना आदि बातें रखी गईं, जिस पर न्यायालय ने दृढ़तापूर्वक सहमति व्यक्त की और कोर्ट में फिल्म निर्माता, निर्देशक और अन्य पक्षों की अनुपस्थिति पर आपत्ति जताई।

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