समय समय पर अपने अटपटे और बेबाक बात के लिए ख़बरों में रहने वाली कंगना रनौत ने एक बार फिर किसान आंदोलन और गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसक घटनाओं कड़ी प्रतिक्रिया दी।
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान तय समय से काफी पहले दिल्ली के अंदर दाखिल हो गए, उसके बाद पुलिस द्वारा रोके जाने पर उग्र हो गए और जगह जगह पर बनाए गए बेरीकेड्स भी तोड़ दिए। वहीं, हालात को देखते हुए दिल्ली के कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएंं बंद कर दी गई है।
हिंसक घटनाएं होने की खबर पर गृहमंत्री ने कमान संभाल ली है। अमित शाह ने गृहमंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। इन सब के बीच एक बार फिर एक्ट्रेस कंगना रनौत की एंट्री हुई है। कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर आंदोलनकारी किसानों पर करारा प्रहार किया है।
Sick and tired of riots and blood bath almost every month , Delhi, Bangalore and now again Delhi #दिल्ली_पुलिस_लठ_बजाओ #RedFort pic.twitter.com/pWhXtOrqkx
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 26, 2021
कंगना रनौत ने वीडियो जारी कर कहा है कि हम देख रहे हैं कि कैसे गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हमला किया गया है, वहां पर खालिस्तान का झंडा लहराया गया है। गणतंत्र दिवस का दिन पूरे देश के लिए गौरव का दिन है। अभी कुछ ही दिन हुए हैं कि हम कोरोना से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, इस लड़ाई में हम जीत रहे हैं। इस जंग में हम कई देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हम लोगों के लिए मुश्किल भरा एक साल रहा है।
कंगना ने कहा कि लेकिन लाल किले से जो तस्वीरें सामने आ रही है, वो पूरे देश को झुंझलाकर रख दी है।
इन लोगों को किसान कहते हैं, ये आतंकी हैं। इन लोगों को कुछ लोग सरेआम प्रोत्साहन दे रहे हैं और आज भी इन्हें प्रोत्साहित करने में लगे हुए हैं। आज कहीं भी हमारी इज्जत नहीं रही है, जब भी देखो गंवारों की तरह, चाहे कोई दूसरे देश का प्रधानमंत्री आए या कुछ आए कभी भी नंगे होकर बैठ जाते हैं।
ये देश का कुछ नहीं होने वाला। अगर सब ऐसे ही भसड़ मचा के रखेंगे तो इस देश का कुछ नहीं होने वाला।
उन्होंने आगे कहा कि ये देश कहीं नहीं जा रहा है। कोई देश को एक कदम आगे लेकर जाता है तो 10 कदम खींचकर उसे वापस लाया जाता है और आप लोग सिर्फ बैठकर तमाशा देख रहे हैं। उन सब को जेल में डलो तो इस कथित किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। उनके सारे संसाधन छीन लिए जाएं। मजाक बनकर रह गया है ये देश, इसका सु्प्रीम कोर्ट और सरकार। सब मज़ाक़ बनकर रह गया है।