तीन नए आपराधिक क़ानूनों में सज़ा की जगह न्याय ने ले ली है: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद उच्चतम न्यायालय के स्तर तक सभी मामलों में न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिलेगा। शाह ने नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि भविष्य में अपराधों में कमी आएगी और नए कानूनों के तहत 90 प्रतिशत मामलों में दोषसिद्धि होगी।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 सोमवार से पूरे देश में प्रभावी हो गए।
देश की आपराधिक क़ानून-व्यवस्था की समीक्षा करने की कवायद का नेतृत्व करने वाले अमित शाह ने मीडिया से कहा कि आजादी के 77 साल बाद देश में पूरी तरह से स्वदेशी कानून व्यवस्था है। अमित शाह ने विपक्ष से नए आपराधिक कानूनों का राजनीतिकरण करने से बचने को कहा। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने से पहले बातचीत की जानी चाहिए।
अमित शाह ने कहा, ‘मैं विपक्षी नेताओं से अनुरोध करता हूँ कि वे समझें कि राजनीतिक जुड़ाव के लिए पर्याप्त अवसर होंगे और हम आपकी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, ये कानून न्याय और नागरिक सम्मान के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए आपका सहयोग ज़रूरी है।’ उन्होंने यह भी कहा कि उनका कार्यालय विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत के लिए हमेशा खुला है। गृहमंत्री ने कहा, ‘लेकिन मेरा मानना है कि पहले बैठक और चर्चा किए बिना विरोध में सड़कों पर उतरना उचित नहीं है।’
पुराने कानूनों की जगह लेंगे नए कानून
इन तीनों कानून ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के स्तर तक न्याय प्राथमिकी दर्ज होने के तीन साल के भीतर मिल सकता है।’’ गृह मंत्री ने कहा कि तीनों आपराधिक कानूनों के लागू होने से भारत में दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘नए कानून, आधुनिक न्याय प्रणाली को स्थापित करते हैं जिनमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन और सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं।’’