जजों की नेताओं से मुलाकात का फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ता: चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब सरकार का प्रमुख हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मिलता है, तो उन मुलाकातों में राजनीतिक परिपक्वता होती है। इससे न्यायिक कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ता। सीजेआई ने यह भी कहा कि जब हम राज्य या केंद्र सरकार के प्रमुख से मिलते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोई डील हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कार्यक्रम के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश से पूछा गया कि क्या गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या अन्य अवसरों पर वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों और राजनेताओं के बीच मुलाकातें होती हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे राजनीतिक तंत्र की परिपक्वता इस बात पर निर्भर करती है कि न्यायपालिका और उनके विचारों में बहुत फर्क है।सरकारी प्रमुखों से बातचीत का मतलब कोई डील नहीं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक कामकाज के कारण हमें राज्य के मुख्यमंत्री से बात करनी पड़ती है क्योंकि वही न्यायपालिका के लिए बजट प्रदान करते हैं। यही नहीं, उन्होंने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि जब मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश था और इसके अलावा मैंने बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति में भी काम किया। राज्यों में यह परंपरा है कि जब कोई पहली बार मुख्य न्यायाधीश बनता है, तो वह मुख्यमंत्री से मिलता है। इन सभी मुलाकातों का अलग-अलग एजेंडा होता है।
सीजेआई ने कहा कि अदालत और सरकार के बीच प्रशासनिक संबंध न्यायिक कार्यों से अलग है। यह परंपरा है कि मुख्यमंत्री या मुख्य न्यायाधीश त्योहारों या शोक के समय एक-दूसरे से मिलते हैं। इससे हमारे न्यायिक प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता।
जजों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है
चंद्रचूड़ अदालत में छुट्टियों के संबंध में उठाए गए सवालों पर सीजेआई ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि जजों पर काम का बहुत ज्यादा बोझ है। उन्हें सोचने के लिए भी समय चाहिए क्योंकि उनके फैसले समाज के भविष्य का निर्धारण करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुद रात 3:30 बजे उठता हूं और सुबह 6 बजे अपना काम शुरू करता हूं।
उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सुप्रीम कोर्ट में एक साल में 181 मामलों का निपटारा होता है, जबकि हमारे यहां एक ही दिन में इतने सारे केस निपटाए जाते हैं। भारतीय सुप्रीम कोर्ट हर साल लगभग 50 हजार मामलों का निपटारा करती है।