मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे पाटिल की हालत बिगड़ी
जालना: मराठा आरक्षण के लिए अपने पांचवें अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल आंदोलन के चौथे दिन मंगलवार को शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जरांगे-पाटिल की तबीयत बिगड़ गई। मेडिकल टीम की जांच में कई बीमारियों से पीड़ित पाए गए जरांगे ने इलाज कराने और दवाएं लेने से इनकार कर दिया है। उनके एक सहयोगी ने कहा कि एक मेडिकल टीम ने जरांगे पाटिल की जांच की और पाया कि वह कमजोरी, लो ब्लड प्रेशर, कम वजन और दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं। हालांकि, उन्होंने कोई भी दवा लेने से इनकार कर दिया है और कहा कि मराठा आरक्षण पर सरकार द्वारा मांगें माने जाने तक भूख हड़ताल जारी रहेगी।
बिगड़ती तबीयत को देखते हुए जरांगे को डॉक्टरों ने नींद में दवाई दी। जब उन्हें इस बारे में पता चला तो वे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मेरा इलाज करना चाहती है, तो 2 दिन के अंदर आरक्षण को लागू करें। अगर ऐसा नहीं किया तो वे फिर से मुंबई तक मार्च निकालेंगे और प्रोटेस्ट करेंगे। तब तक PM मोदी की राज्य में कोई सभा भी नहीं होने देंगे।
जरांगे ने भूख हड़ताल के दौरान बुधवार को कहा- अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो प्रधानमंत्री मोदी की महाराष्ट्र में कोई भी सभा या रैली नहीं होने देंगे। उधर, नारायण राणे ने जरांगे के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा- जरांगे ने अब लिमिट क्रॉस कर दी है। उन्होंने बहुत ही हल्का बयान दिया है। मैं उनको चुनौती देता हूं कि जब मोदी महाराष्ट्र आएंगे तब वे अपनी जगह से हिल कर दिखाए। मैं उनको मराठाओं का नेता नहीं मानता।
उधर, महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया है। बुधवार (14 फरवरी) को सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि यह सत्र 20 फरवरी को बुलाया जाएगा। इसमें मराठा आरक्षण को लेकर चर्चा होगी।
राज्य मंत्री छगन भुजबल के सोमवार को दिए गए बयान कि महायुति के लिए लोकसभा चुनाव पर 2023-2024 के मराठा आंदोलन का कोई असर नहीं पड़ा है, जरांगे-पाटिल ने कहा, “थोड़ा और इंतजार कीजिए और आपको पता चल जाएगा। इससे पहले, शिवबा संगठन के नेता ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार अपने वादों को पूरा करने में विफल रही तो वह अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे।
इससे पहले मनोज जरांगे ने 20 जनवरी से 26 जनवरी तक जालना से नवी मुंबई तक यात्रा निकाल थी। इसके बाद वे अनशन पर बैठ गए थे। 27 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे ने मनोज जरांगे को जूस पिलाकर अनशन खत्म करवाया था और मराठा आंदोलन से जुड़े ड्राफ्ट अध्यादेश की कॉपी सौंपी थी। आंदोलन खत्म करने के बाद जरांगे ने कहा था कि हम 4 महीने से मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मनोज का कहना था- मराठा आरक्षण के लिए करीब 350 युवाओं ने आत्महत्या की। आज उनका सपना साकार हुआ। अब सरकार पर आरक्षण लागू करने की जिम्मेदारी है। अगर इस बार धोखा हुआ तो मैं मुंबई के आजाद मैदान आ जाऊंगा।