रजक और मनोज की दोबारा मुलाक़ात के बाद हर किसी का यही सवाल, क्या बिहार में लालू प्रसाद द्वारा बड़े उलटफेर की संभावना?
बिहार की राजनीति को लेकर अटकलें और हलचलें दोनों ही बढ़ रही हैं, RJD के मुखिया लालू प्रसाद यादव भले ही बिहार न आए हों लेकिन वह दिल्ली में बैठ कर बिहार की हर छोटी बड़ी राजनीतिक गतिविधियों पर निगाहें जमाए हुए हैं।
RJD के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक और राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यसभा सांसद मनोज झा रविवार को RJD सुप्रीमो से रविवार को मुलाक़ात करने गए, यह मुलाक़ात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रजक शनिवार को चिराग़ पासवान से मिले थे।
बहुत देर तक उनसे बिहार के राजनीतिक उतार चढ़ाव पर बातचीत करने के साथ साथ महागठबंधन में आने का न्यौता भी दिया था, रजक कांग्रेस नेत्री मीरा कुमार और बिहार प्रभारी भक्त चरण दास से भी मिले थे, आपको बता दें कि लोजपा के दो हिस्से में बंटने के बाद से RJD की नज़र चिराग़ पासवान पर है, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी यह कह चुके हैं कि इस बारे में चिराग़ पासवान ही को फ़ैसला लेना है।
आपको बता दें कि शनिवार को चिराग से मुलाकात से ठीक पहले शुक्रवार को श्याम रजक ने राजद अध्यक्ष लालू यादव से मुलाक़ात की थी, इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मीरा कुमार से भी मुलाकात की थी, मौजूदा समय में इन मुलाक़ातों को राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
श्याम रजक के लालू प्रसाद यादव से मुलाक़ात के ठीक बाद चिराग़ पासवान से मिलने की घटना को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है, सियासी गलियारों में अब ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि क्या लालू प्रसाद अथवा तेजस्वी यादव का कोई खास संदेश था, जिसे श्याम रजक लेकर पहुंचे थे? क्या बिहार में राजद कोई नया समीकरण गढ़ने की कोशिश में है? या फिर कुछ और ही सियासी खिचड़ी पक रही है? इन सवालों का जवाब तो आने वाला समय ही देगा, मगर जिस तरह से चिराग़ को चाचा पशुपति कुमार पारस ने झटका दिया है, उसके बाद अगर राजद चिराग़ पर डोरे डालने में कामयाब होती है, तो यह अचंभित करने वाला नहीं होगा।