शेयर बाज़ार में गिरावट से निवेशकों के 7.46 लाख करोड़ रुपये डूबे
शेयर बाज़ार में शुक्रवार को ख़ून-ख़राबा मच गया। सेंसेक्स में दोपहर तक 1300 से ज़्यादा अंकों की गिरावट आई। यानी सेंसेक्स क़रीब 1.85 फ़ीसदी नीचे गिर गया। सेंसेक्स में क़रीब 1000 अंकों की गिरावट का ही मतलब है कि निवेशकों की संपत्ति 7.46 लाख करोड़ रुपये घट गई। निफ़्टी में भी 400 से ज़्यादा अंकों यानी 1.86 फ़ीसदी की गिरावट आई है।
शेयर बाज़ार में यह गिरावट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों और भारत में तीसरी तिमाही के जीडीपी के आँकड़े जारी होने की संभावना के बीच आई है। इस बीच अन्य एशियाई शेयर बाज़ारों में भी कमजोरी रही। हालाँकि, इसके अलावा भी कई और कारण हैं जिनकी वजह से बाज़ार धड़ाम गिरा है। इनमें भारतीय बैंकों की आय में कमी होना, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और एफ़आईआई का भारत से चीन की ओर जाना शामिल हैं।
रिपोर्टें हैं कि सितंबर महीने में बाजार के शिखर पर पहुँचने के बाद से विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफ़आईआई ने क़रीब 25 अरब डॉलर की निकासी की है। यह तब हुआ जब शेयर बाज़ार में उच्च मूल्यांकन और अर्थव्यवस्था के धीमा होने की चिंताएँ हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय शेयर बाजार में एफआईआई की बिकवाली लगातार जारी है। जनवरी में एक्सचेंजों के माध्यम से 81,903 करोड़ रुपये के शेयर बेचने के बाद एफआईआई ने इस महीने 21 फरवरी तक 30,588 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
एफ़आईआई की लगातार निकासी के बीच ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ़ बढ़ाने की चेतावनी से बाज़ार सहम गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘शेयर बाजार अनिश्चितता को पसंद नहीं करते और ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से अनिश्चितता बढ़ रही है।
उन्होंने कहा, ‘ट्रम्प द्वारा टैरिफ की घोषणाओं का बाजार पर प्रभाव पड़ रहा है, तथा चीन पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ की ताज़ा घोषणा बाजार के इस रवैये की पुष्टि करती है। ट्रम्प अपने राष्ट्रपति पद के शुरुआती महीनों का इस्तेमाल टैरिफ से देशों को धमकाने तथा उसके बाद अमेरिका के मुताबिक़ समझौता करने के लिए बातचीत करने में करेंगे।’