बेगुनाहों को मुआवज़ा मिलना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं: तीस्ता सीतलवाड़

बेगुनाहों को मुआवज़ा मिलना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं: तीस्ता सीतलवाड़

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार के रवैये पर उठाए सवाल — कहा: एजेंसियों और अधिकारियों की ग़लत जांच ने जहाँ 12 बेगुनाहों की ज़िंदगी के 19 साल बर्बाद किए, वहीं धमाकों में मारे गए और घायल लोगों के परिवारों को भी मायूस किया।

2006 के सिलसिलेवार ट्रेन धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा रिहा किए गए आरोपियों को मुआवज़ा मिलना चाहिए, न कि राज्य सरकार की तरह तुरंत सुप्रीम कोर्ट में जाकर उनकी रिहाई को चुनौती दी जाए — सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार के इस रवैये पर कड़ा ऐतराज़ जताया और कई गंभीर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि जिस तरह जांच एजेंसियों और अधिकारियों ने ग़लत जांच की, उससे न सिर्फ 12 मुसलमानों की ज़िंदगी के अनमोल 19 साल बर्बाद हुए, बल्कि धमाकों में मारे गए और घायल हुए लोगों के परिवारों को भी न्याय से वंचित और निराश किया गया।

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा:
“न्याय तो मिला, मगर बहुत देर से मिला — फिर भी मैं इसे ‘देर से मिला न्याय’ मानती हूं। होना तो यह चाहिए था कि राज्य सरकार ग़लत जांच की ज़िम्मेदारी स्वीकार करती, ज़िम्मेदार अधिकारियों को कटघरे में लाती, और इन 12 बेगुनाहों की बरबाद की गई ज़िंदगी की भरपाई के लिए उन्हें मुआवज़ा देती। लेकिन उसने उल्टे सुप्रीम कोर्ट जाकर इस फैसले को चुनौती दी। यह रवैया एक ज़िम्मेदार सरकार का नहीं हो सकता, खासकर तब जबकि कश्मीर, केरल और देश के कई हिस्सों में ऐसी मिसालें हैं जहां सरकारों ने अपनी ग़लती मानी और पीड़ितों को मुआवज़ा दिया।”

उन्होंने आगे कहा:
“क्या आप सोच सकते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में निचली अदालत के फ़ैसले को रद्द करते हुए, सबूतों के अभाव में सभी को बाइज़्ज़त बरी कर दिया — फिर भी सरकार ने इस फैसले को चुनौती दे दी! इससे संदेह होता है कि शायद इस तरह के रवैये से जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच खाई पैदा की जा रही है। साथ ही, यह सवाल भी ज़रूरी है कि अगर ये लोग बेगुनाह हैं — तो असली दोषी कौन है? यानी ग़लत जांच ने धमाकों के असली अपराधियों को भी बचा लिया और मृतकों व घायलों के परिजनों को धोखा दिया, जो 19 साल से न्याय की उम्मीद कर रहे थे।”

“अगर मुआवज़ा मिल भी जाए, तब भी वह बहुत कम है
सामाजिक कार्यकर्ता उज़्मा नाहिद ने कहा:
“बिलकुल ज़रूरी है कि जिन 12 मुसलमान युवाओं की ज़िंदगी के 19 साल बर्बाद किए गए, उनके साथ न्याय हो और ज़िम्मेदार अधिकारियों का जवाबदेह ठहराया जाए। इन लोगों और उनके परिवारों को जिन कठिन हालातों से गुज़रना पड़ा, उसका अंदाज़ा भी लगाना मुश्किल है। अगर मुआवज़ा मिल भी जाए — जो शायद मिलेगा भी नहीं — तब भी वह इन पीड़ाओं का बहुत मामूली सा बदला होगा।”

उन्होंने दोहराया कि ये सब एकतरफा और ग़लत जांच का नतीजा था, जिसमें मुस्लिम युवाओं को फंसाया गया, उन्हें कठोर सज़ाएं दी गईं — मगर हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। फिर भी सरकार न सिर्फ फैसले को स्वीकार नहीं कर रही, बल्कि उसे चुनौती भी दे रही है। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट भी सरकार की याचिका को खारिज करेगा। जिन्हें बरी किया गया, उनका सब कुछ लुट गया, फिर भी सरकार पीछा नहीं छोड़ रही”

‘बेबाक कलेक्टिव’ की सक्रिय सदस्य और महिला अधिकार कार्यकर्ता हसीना खान ने कहा:
“सोचिए — जिन 12 लोगों को 19 साल बाद निर्दोष साबित कर रिहा किया गया, उनका पूरा जीवन नष्ट हो गया, सब कुछ लुट गया — मगर सरकार अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। यही है ‘हिंदुत्व का असली चेहरा’। सरकार की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने का मतलब है कि वह हाई कोर्ट के फैसले को भी नहीं मानती — यह सरकार की मनमानी नहीं तो और क्या है?”

उन्होंने कहा:
“बेशक मुआवज़ा मिलना चाहिए, लेकिन सवाल है — देगा कौन? आवाज़ उठाएगा कौन? जो सरकार रिहाई के फैसले को ही मानने को तैयार नहीं, उससे क्या उम्मीद की जाए? सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट जाकर अपना असली चेहरा दिखा दिया। पीड़ितों के परिजन तो इतने डरे हुए हैं कि वे खुलकर बोलने को भी तैयार नहीं हैं।”

हसीना खान ने मालेगांव धमाकों के मामले का हवाला देते हुए कहा:
“हम उन लोगों से मिलने गए थे जो लंबे समय बाद रिहा हुए — उनके परिवारों से भी बात की, उन्हें समझाने की कोशिश की कि मुआवज़ा मांगें, लेकिन उनका जवाब था कि ‘हम छूट गए, यही बहुत है; मुआवज़ा मांगा तो किसी और झूठे केस में फंसा देंगे’। इसीलिए सरकार से किसी उम्मीद की कोई गुंजाइश नहीं है — और कोई आवाज़ उठाने की हिम्मत भी शायद नहीं करेगा।”

 

popular post

बिहार चुनाव नतीजों के रुझानों ‌में एनडीए को बहुमत, महागठबंधन पीछे 

बिहार चुनाव नतीजों के रुझानों ‌में एनडीए को बहुमत, महागठबंधन पीछे  बिहार चुनाव के शुरुआती

संयुक्त अरब अमीरात ने इस्राईली नागरिकों को वीज़ा देना किया शुरू

कुछ दिनों पहले इस्राईल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक कर कई समझौते पर हस्ताक्षर

4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस

4 दिसंबर भारतीय नौसेना दिवस हर देश किसी न किसी तारीख़ को नौसेना दिवस मनाया

कल से शुरू होगी टी-20 सीरीज, जानिए कितने बजे खेला जाएगा मैच

भारतीय टीम फ़िलहाल अपने ऑस्टेलिया के दौरे पर है जहाँ पर अब तक एकदिवसीय सीरीज़

कुछ हफ़्तों में मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन आने की उम्मीद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

कोरोना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक सर्वदलीय बैठक की. पीएम मोदी ने

महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में लगा तगड़ा झटका, सिर्फ एक सीट पर मिल सकी जीत

महाराष्ट्र में बीजेपी को विधान परिषद चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. विधान परिषद की

5वें दौर की बैठक: किसानों का दो टूक जवाब हम सरकार से चर्चा नहीं, बल्कि ठोस जवाब चाहते हैं वो भी लिखित में,

कृषि कानूनों को लेकर पिछले 9 दिनों से धरने पर बैठे किसानों के साथ केंद्र

रूस की नसीहत, वेस्ट बैंक में एकपक्षीय कार्रवाई से बचे इस्राईल

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने मेडिटरेनीयन डायलॉग्स बैठक को संबोधित करते हुए कहा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *