भारत सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहती: कांग्रेस

भारत सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहती: कांग्रेस

चुनाव आयोग अगले हफ्ते लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित करने की प्रक्रिया में था। लेकिन उससे पहले शनिवार को एक चौंकाने वाले कदम में, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा बिना देर लगाए स्वीकार कर लिया है। भारतीय चुनाव आयोग में पहले से ही एक पद खाली था और अब सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही अकेले रह गए।

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे को लेकर कई विपक्षी नेताओं ने हैरानी व्यक्त की है, जिससे आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश भर में व्यापक चिंता जताई जा रही है। विपक्ष ने केंद्र की आलोचना की और कहा कि सरकार पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया में दिलचस्पी नहीं रखती है।

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे की घोषणा शनिवार को की गई और राष्ट्रपति ने इसे आनन-फानन में स्वीकार कर लिया। सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। अभी यह तक नहीं बताया गया है कि आयोग में दो चुनाव आयुक्तों के खाली पद कब भरे जाएंगे, जबकि आम चुनाव 2024 सिर पर आ चुका है।

इस अचानक पैदा हुई स्थिति से अब चुनाव की तारीख घोषित होने में देर हो सकती है या फिर सरकार एक-दो दिन में नया चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दे। लेकिन उसके लिए प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। यानी सर्च कमेटी नाम देगी। फिर पीएम बाकी सदस्यों के साथ बैठक करके फैसला लेंगे। हालांकि अब उसमें सिर्फ औपचारिकता होगी, क्योंकि सरकार के फैसलों को चुनौती देने वाला उस कमेटी में अब कोई नहीं है। पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस भी उसके सदस्य होते थे।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- “यह काफी चौंकाने वाला है। चुनाव की घोषणा से ठीक पहले चुनाव आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया है. अब तो एक ही चुनाव आयुक्त है… इस चुनाव आयोग में क्या हो रहा है? पूरा देश चिंतित है। वेणुगोपाल ने कहा- “भारत सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहती है।”

वेणुगोपाल ने कहा- “इससे पहले, उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस को चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया से हटा दिया। सीजेआई के स्थान पर उन्होंने एक कैबिनेट मंत्री को शामिल किया…अब यह एक सरकारी मामला बन गया है…इस प्रक्रिया में पारदर्शिता खो गई है।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किया- “चुनाव आयोग या चुनावी चूक? भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त है, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है। क्यों?” खड़गे ने एक्स पर लिखा- “जैसा कि मैंने पहले कहा है, अगर हम अपने स्वतंत्र संस्थानों की तबाही को नहीं रोकते हैं, तो हमारा लोकतंत्र तानाशाही द्वारा हड़प लिया जाएगा!”

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