भारत लोकतांत्रिक देश है, विध्वंसकारी नियम सभी के लिए एक समान होंगे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि देश में विध्वंस (डिमोलिशन) से संबंधित दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे, जो सभी नागरिकों और धर्मों के लिए समान रूप से लागू होंगे। यह निर्णय न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की बेंच द्वारा लिया गया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति पर आरोप लगने मात्र से उसकी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता है, चाहे उसका अपराध सिद्ध हो गया हो।
यह एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए जो भी नियम और दिशानिर्देश बनाए जाएंगे, वे सभी नागरिकों और संस्थाओं पर समान रूप से लागू होंगे। किसी भी विशेष वर्ग या समुदाय के लिए अलग नियम नहीं होंगे। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उसके द्वारा जारी किए गए निर्देशों का उद्देश्य अवैध कब्जे या फुटपाथों पर अतिक्रमण को बढ़ावा देना नहीं है। कोर्ट का इरादा सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि किसी के खिलाफ गैर-जरूरी तरीके से संपत्ति का विध्वंस न किया जाए।
इस मामले में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की ओर से अदालत में दलीलें पेश कीं और कहा कि वे इस मामले में लिखित उत्तर दाखिल करेंगे। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी विध्वंसकारी कार्रवाईयों पर 15 दिनों की अस्थायी रोक लगा दी थी। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि बिना उसकी अनुमति के किसी भी मामले में आरोपी की संपत्ति का विध्वंस नहीं किया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह रोक सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों, या जलाशयों जैसी जगहों पर अवैध निर्माणों पर लागू नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को कहा था कि वह विध्वंस मामलों से निपटने के लिए ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने की योजना बना रहा है, जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू होंगे। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विध्वंसकारी कार्रवाई कानून के अनुसार निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से हो।