गुजरात में गुमनाम दलों को 4300 करोड़ का चुनावी चंदा मिला, क्या चुनाव आयोग इसमें भी एफिडेविट मांगेगा?: राहुल गांधी
गुजरात में कुछ ऐसी अनाम पार्टियां हैं जिनका नाम किसी ने नहीं सुना – लेकिन 4300 करोड़ का चंदा मिला। इन दलों को चुनाव में चंद हजार वोट मिले लेकिन चंदा करोड़ों में मिला। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को गंभीर आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से इस पर सफाई मांगी है।
उन्होंने कहा कि, क्या चुनाव आयोग इसमें भी एफिडेविट मांगेगा? या फिर कानून ही बदल देगा, ताकि ये डेटा भी छिपाया जा सके?”
उन्होंने एक्स पर बुधवार 27 अगस्त को यह लिखा है। राहुल ने न सिर्फ लिखा बल्कि बिहार के मुज्जफरपुर की रैली में बुधवार को कहा कि गुजरात अपने आप में कोई आर्थिक मॉडल नहीं है। बल्कि यह चुनाव और चंदा चोरी का मॉडल है।
राहुल गांधी ने चुनावी चंदे पर चुनाव आयोग को क्यों घेरा है। अन्य लोग भी सोशल मीडिया पर गुजरात के इस चुनावी चंदा चोरी फ्रॉड पर टिप्पणियां कर रहे हैं। इस बीच चुनावी चंदे को वेरिफाई करने वाले गुजरात के कुछ चार्टर्ड एकाउंटटेंट (सीए) के खिलाफ आईसीएआई ने जांच शुरू कर दी है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक महीना पहले इस चुनावी चंदा फ्रॉड की रिपोर्ट दी थी और बताया था कि पांच गुमनाम पार्टियों को यह पैसा मिला था। लेकिन गुजरात के अखबारों ने अब बताया है कि गुजरात की 10 गुमनाम पार्टियों को यह चंदा मिला है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) की आमदनी (जिन्हें सामूहिक रूप से केवल नाममात्र का वोट मिलता है) में 2022-23 में 223% की भारी बढ़ोतरी हुई है। यह खुलासा राजनीतिक फंडिंग चैनलों के संभावित दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर रहा है। एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 2,764 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं, लेकिन उनमें से 73% से अधिक लगभग 2,025 ने अपने वित्तीय रिकॉर्ड का खुलासा नहीं किया है।
गुजरात में पिछले पाँच वर्षों में तीन चुनावों में पाँच ऐसे दलों ने कुल मिलाकर केवल 22,000 वोट हासिल किए, फिर भी उन्होंने ₹2,316 करोड़ की संयुक्त आय घोषित की। अकेले एक वित्तीय वर्ष में, इन दलों की आय ₹1,158 करोड़ थी। उच्च आय के बावजूद, इन दलों ने 2019 से 2024 के बीच दो लोकसभा चुनावों और एक विधानसभा चुनाव में केवल 17 उम्मीदवार ही मैदान में उतारे- जिनमें से कोई भी नहीं जीता। इन पाँच दलों में से कई सारे 2018 के बाद रजिस्टर्ड हुए थे।
इन गुमनाम दलों में लोकशाही सत्ता पार्टी को 1045 करोड़, भारतीय नेशनल जनता दल को 962 करोड़, स्वतंत्र अभिव्यक्ति पार्टी को 663 करोड़, न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी को 608 करोड़, सत्यवादी रक्षक पार्टी को 416 करोड़, भारतीय जनपरिषद को 249 करोड़, सौराष्ट्र जनता पक्ष को 200 करोड़, जनमन पार्टी को 133 करोड़, मानवाधिकार नेशनल पार्टी 120 करोड़, गरीब कल्याण पार्टी को 138 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा मिला था।


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