अगर हम आपस में लड़ेंगे लोग तो देश कैसे करेगा प्रगति: सीजेआई चंद्रचूड़

अगर हम आपस में लड़ेंगे लोग तो देश कैसे करेगा प्रगति: सीजेआई चंद्रचूड़

बीकानेर में राज्य स्तरीय ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान की शुरुआत करने चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार सुबह 9.30 बजे बीकानेर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें संविधान की भावना के अनुरूप एक-दूसरे के प्रति सम्मान रखना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि अगर लोग आपस में लड़ेंगे तो देश कैसे प्रगति करेगा।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में एक-दूसरे का सम्मान करते हुए समानता और भाईचारे की भावना बनाए रखने की जरूरत है। चीफ़ जस्टिस ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं ने मानवीय गरिमा को सर्वोच्च स्थान दिया है। उन्होंने कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर ने यह सुनिश्चित किया था कि न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के साथ-साथ भाईचारे की भावना और व्यक्ति की गरिमा को संविधान में बरकरार रखा जाए।”

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के किसी भी कोर्ट में स्थानीय भाषा में फैसला होना चाहिए। अगर मैं दिल्ली में बैठकर कोई निर्णय वकील के लिए, जज के लिए दे रहा हूं तो वो कठिन भाषा में हो सकता है। लेकिन अगर मैं आम आदमी के लिए निर्णय कर रहा हूं तो निश्चित रूप से सरल भाषा में होना चाहिए।

यहां महाराजा गंगा सिंह विश्‍वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई ने यह भी कहा कि लोकतंत्र और भारत के संविधान के बीच एक संबंध है। उन्होंने कहा, “संविधान को समझने से लोकतंत्र की समझ भी विकसित और पोषित होती है। संविधान के संदेशों को हर व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है। संविधान की भावना को हर नागरिक तक पहुंचाना होगा।”

सीजेआई ने भारत के संविधान के बारे में आगे कहा, “संविधान के निर्माण में कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों ने योगदान दिया। संविधान का मसौदा सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। यह सिर्फ वकीलों के लिए एक दस्तावेज नहीं है।” उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण में बीकानेर का भी बड़ा योगदान रहा है।

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