ओमिक्रॉन लहर में प्रतिदिन आएँगे 8 लाख केस, मौत का आंकड़ा होगा भयावह इनफेक्शियस डिजीज एंड इम्यूनोलॉजी ने देश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए कहा है कि 15 जनवरी तक देश भर में कोरोना अपने चरम पर पहुँच सकता है।
ओमिक्रॉन संक्रमितों की संख्या भी देश भर में 4033 के पार पहुंच चुकी है। अकेले महाराष्ट्र में 1216 मामले अब तक सामने आ चुके हैं।
बात कोरोना पीड़ितों की करें तो देश भर में लगातार दूसरे दिन 1.5 लाख संक्रमण के मामले सामने आए हैं । देश भर में एक्टिव केस की संख्या 7,23,619 पर पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटों में देश भर में 179723 मामले सामने आए हैं जबकि 146 लोगों की मौत हुई है ।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफ़ेसर राम मूर्ति के अनुसार देश भर में कोरोना की दूसरी लहर के चरम के समय से दोगुना अधिक मामले सामने आने की संभावना है । ऐसा लगता है कि रोज़ाना 8 लाख तक केस सामने आने वाले हैं।
राम मूर्ति ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि यह आंकड़े कोरोना की दूसरी लहर की पीक स्तर से दोगुना हो सकते हैं। कोरोना के केस बढ़ेंगे तो मृत्यु दर में भी इजाफा होगा।
दिल्ली में शनिवार को कोविड की वजह से 17 लोगों की जानें गईं। बीते 200 दिनों के हिसाब से यह संख्या सबसे अधिक है। एम्स दिल्ली के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के मुखिया अंजन त्रिखा का कहना है कि दर्ज की गई आंकड़ों में ज्यादातर मौत ऐसे लोगों की हुई है जिन्हें पहले से दूसरी बीमारी थी।
प्रमुख वायरोलॉजिस्ट और डॉक्टरों का कहना है कि उम्र के साथ जोखिम बढ़ने का खतरा अधिक है, जिन लोगों की उम्र 85 या इससे अधिक है, उनमें गंभीर लक्षण की ज्यादा संभावना है। अमेरिका में मृत्यु के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से करीब 81 फीसदी लोगों की उम्र 65 वर्ष या इससे अधिक रही है। ऐसे बुजुर्ग जिन्हें पहले से किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, उनके लिए जोखिम अधिक है।
ICMR के पूर्व प्रमुख डॉ. रमना गंगाखेडकर का कहना है, “अमेरिका की तरह, भारत में भी पीक स्तर पर केसों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है। बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए जोखिम ज्यादा है और उन्हें क्रिटिकल केयर की जरूरत पड़ सकती है। इन मरीजों को होम केयर की सलाह नहीं दी जा सकती और इन्हें केयरफुल मॉनिटरिंग की जरूरत होगी। हमें वाजिब पेशेंट मैनेजमेंट की आवश्यकता है।
दिल्ली, मुंबई और कर्नाटक के हालत गंभीर हो चले हैं यहाँ अस्पतालों में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिन्हें कोविड के दोनों डोज लग चुके हैं। त्रिखा के मुताबिक, “हां, हमने ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के बहुत से केस देखे हैं। हालांकि, अभी बहुत कम मरीजों को आईसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है, लेकिन ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ ही दिनों में मरीजों की संख्या 10 गुना तक पहुंच जाएगी। एम्स में जितने मरीज भर्ती हुए हैं उनमें से करीब 80 फीसदी मरीज बुजुर्ग हैं और इनमें से कुछ लोगों को क्रिटिकल केयर की जरूरत है। हम ऐसे लोगों के पर विशेष ध्यान दे रहे हैं जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है।
WHO की चीफ सांइटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन पहले ही कह चुकी हैं कि ओमिक्रॉन को केवल तेजी से फैलने वाले वेरिएंट के रूप में ही नहीं देखना चाहिए। भले ही यह दूसरे वेरिएंट की तुलना में ज्यादा गंभीर न हो लेकिन अभी भी यह ज्यादा जोखिम वाले लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।


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