आईसीयू मरीज़ों की भर्ती प्राथमिकता के आधार पर करे अस्पताल: केंद्र सरकार
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने विभिन्न क्रिया कलापों से देश में विभिन्न क्षेत्रों में आमूल- चूल परिवर्तन करती नजर आती है। इसी कड़ी में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार देश में इंटेंसिव केयर (आईसीयू) यानि गहन चिकित्सा इकाई के तहत इलाज के लिए मरीज की जरूरत के हिसाब से फैसला लेने के लिए अस्पतालों के लिए दिशा निर्देश जारी कर दिया है।
केंद्र सरकार द्वारा देश के विभिन्न अस्पतालों के लिए जारी किए गया, यह दिशा निर्देश हालांकि बात बाध्यकारी नहीं है, इसके बावजूद इसका महत्व कम नहीं हो जाता। इस दिशा निर्देश को तैयार करने में शामिल विशेषज्ञों में से एक ने बताया कि हमारे देश में आईसीयू एक सीमित संसाधन इन सिफारिश का मकसद एक ही है कि विवेकपूर्ण रूप से काम करना ताकि जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है,उन्हें प्राथमिकता के आधार पर आईसीयू मिले और ऐसे लोगों को आसानी से इलाज मुहैया करवाया जा सके।
केंद्र सरकार के दिशा निर्देश में कई रोगियों को आईसीयू से बाहर रखने की भी सिफारिश की गई है। इनमें वे मरीज शामिल हैं, जिनको आईसीयू में रखने की कोई खास जरूरत नहीं है।ऐसे में अपेक्षाकृत कम गंभीर किस्म के रोगियों का इलाज अब आईसीयू में न करके सामान्य वार्ड में किया जाएगा।
भारत में विभिन्न अस्पतालों में लगभग 1 लाख आईसीयू बेड है। इसमें से ज्यादातर प्राइवेट फैसिलिटी में और बड़े शहरों में मौजूद है।ऐसे में गरीब लोग जो प्राइवेट अस्पतालों को खर्च नहीं उठा सकते हैं, उन्हें जरूरत के बावजूद पैसों के अभाव में आईसीयू बिस्तर नही मिल पाती है,जिसका असर इनके इलाज पर पड़ता है।
कई बार तो इनकी जान भी चली जाती है। ऐसे में मरीजों को उनकी स्थिति के आधार पर आईसीयू देखभाल के लिए प्राथमिकता देने जारी दिशा निर्देश जारी किया गई उसे सभी निजी और सरकारी अस्पतालों के लिए बाध्यकारी कर दे और इसपर निगरानी कड़े कर दे तभी गरीबों का कुछ भले ही भला हो सकता है।