क्या मोदी सरकार ने गौ तस्कर समझकर गोली मारने का अधिकार दिया है? आर्यन के पिता का सवाल

क्या मोदी सरकार ने गौ तस्कर समझकर गोली मारने का अधिकार दिया है? आर्यन के पिता का सवाल

आर्यन हत्याकांड: एनडीटीवी ने आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर गदपुरी टोल प्लाजा का सीसीटीवी वीडियो देखा है। उस वीडियो में आर्यन को अपने दोस्तों शैंकी और हर्षित के साथ लाल रंग की एसयूवी (डस्टर) में देखा जा सकता है। सीसीटीवी फुटेज 24 अगस्त सुबह करीब 3 बजे का है। इसके तुरंत बाद, आर्यन और उसके दोस्तों को टोल प्लाजा से भागते देखा जा सकता है, पांच आरोपियों को एक सफेद हैचबैक में उनका पीछा करते देखा जा सकता है। इसके चंद सेकंड बाद ही गौरक्षक गुंडों ने कार पर गोलियां चला दीं, जिससे आर्यन मिश्रा की मौत हो गई।

दिल्ली के पास फ़रीदाबाद में गोरक्षकों और 12वीं कक्षा के छात्र की कथित तौर पर हत्या के बीच कार की टक्कर का एक सीसीटीवी वीडियो ऑनलाइन सामने आया है। गौरक्षकों ने छात्र आर्यन मिश्रा को पशु तस्कर समझकर गोली मार दी थी। पुलिस ने कहा कि सभी पांच आरोपियों–सौरभ, अनिल कौशिक, वरुण, कृष्णा और आदेश–को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन इस सिलसिले में आर्यन के पिता का बयान कम महत्वपूर्ण नहीं है। एएनआई ने आर्यन के पिता से बात की।

आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा ने एएनआई से कहा- “मेरा बेटा जिसका नाम आर्यन मिश्रा है वह 12वीं कक्षा का छात्र था। मुझे कुछ भी पता नहीं था…बाद में मुझे पता चला कि मेरे बेटे को गाय तस्करी के संदेह में गोली मार दी गई।…कौन देता है गौ तस्करी के शक में किसी को गोली मारने का अधिकार? अगर मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है तो क्यों?… मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है…सीबीआई प्रभारी ने मामले को सुलझा लिया है…।” बता दें कि आर्यन के पिता जिसको सीबीआई कह रहे और समझ रहे हैं, वो दरअसल फरीदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पुलिस के हवाले से बताया गया है कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें सूचना मिली थी कि दो एसयूवी चलाकर कुछ संदिग्ध पशु तस्कर शहर में रेकी कर रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपियों ने पीड़ित आर्यन मिश्रा और उसके दोस्तों को पशु तस्कर समझ लिया और दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गदपुरी टोल के पास लगभग 30 किलोमीटर तक उनकी कार का पीछा किया।

पीटीआई ने पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया है कि आरोपियों ने पुलिस को जानकारी दी कि जब उन्होंने पीड़ित की कार को रोकने के लिए कहा, तो चलाने वाले ने गाड़ी की रफ्तार तेज कर दी, जिसके बाद उन्होंने गोलियां चला दीं और पलवल में गदपुरी टोल के पास मिश्रा की मौके पर ही मौत हो गई। आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा का यही सवाल है कि गौरक्षकों को किसी को गोली मारने का अधिकार किसने दिया। अगर (नरेंद्र) मोदी सरकार ने ऐसा अधिकार दिया है तो क्यों दिया?

फरीदाबाद के पुलिस अधिकारी आरोपियों की बैकग्राउंड के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। वे न ही ये बता रहे हैं कि आरोपी क्या ऐसी वारदात पहले भी कर चुके हैं। क्योंकि गौरक्षा के नाम पर फरीदाबाद, पलवल, मेवात और गुड़गांव जिलों में कई हत्याएं हो चुकी हैं। इन्हीं चार जिलों में गौरक्षकों के कई ग्रुप सक्रिय हैं। हरियाणा और राजस्थान में तमाम पशु पालक गाय और भैंस खरीदकर एक इलाके से दूसरे इलाके जाते रहते हैं, ऐसे वाहनों को भी गौरक्षक निशाना बनाते हैं।

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