बजट में राज्यों से भेदभाव पर चार मुख्यमंत्रियों का, नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया 

बजट में राज्यों से भेदभाव पर चार मुख्यमंत्रियों का, नीति आयोग की बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया 

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आम बजट पेश किए जाने के बाद से इसकी कड़ी आलोचना हो रही है। देश की सभी विपक्षी पार्टियाँ और गैर-बीजेपी राज्य केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में 27 जुलाई को दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक में देश के चार मुख्यमंत्रियों ने शामिल होने से इंकार कर दिया है।

बजट में भेदभाव के खिलाफ विरोध के तौर पर जिन मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है, उनमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन शामिल हैं। दूसरी ओर, बजट में गैर-बीजेपी राज्यों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कल संसद में बजट पर चर्चा से पहले ही इंडिया गठबंधन ने बजट के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी थी। इंडिया गठबंधन का आरोप है कि केंद्र सरकार ने बजट में विपक्षी शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया है।

कांग्रेस के महासचिव और सांसद के सी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के शामिल न होने की जानकारी दी है। 23 जुलाई को किए गए पोस्ट में वेणुगोपाल ने कहा है कि आज पेश किया गया केंद्रीय बजट अत्यंत भेदभावपूर्ण और खतरनाक है। यह पूरी तरह से उन संघीय सिद्धांतों और न्याय के खिलाफ है जिनका पालन केंद्र सरकार को करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ विरोधस्वरूप कांग्रेस के मुख्यमंत्री नीति आयोग की 27 जुलाई को होने वाली बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि इस सरकार का रवैया पूरी तरह से संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है। हम इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे जो केवल इस सरकार के असली भेदभावपूर्ण रंगों को छिपाने के लिए बुलाई गई है।

केंद्रीय सरकार के बजट में भेदभाव के मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा है कि उनकी सरकार ने 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्रीय बजट में राज्य की मांगों को नजरअंदाज करने के खिलाफ विरोध के रूप में किया गया है। यह इसलिए किया गया है क्योंकि कर्नाटक के लोगों की बात नहीं सुनी गई। ऐसे में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है।

जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा है कि केंद्रीय बजट में राज्य को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है, इसलिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। बजट को अत्यंत निराशाजनक बताते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा है कि चूंकि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, तमिलनाडु की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करना ही उचित होगा।

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