जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह को भारत छोड़ने को कहा

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह को भारत छोड़ने को कहा आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने सोमवार को विवादित बयान देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह को भारत छोड़ जाने के लिए कहा है।

जम्मू कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह के बयान पर टिपण्णी करते हुए संघ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा है कि यदि फारूक अब्दुल्लाह का भारत में दम घुट रहा है तो उन्हें भारत छोड़कर चले जाना चाहिए। याद रहे कि फारूक अब्दुल्लाह ने पिछले दिनों कश्मीर के हालात पर बयान देते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को किसान आंदोलन की तरह बलिदान करना होगा ताकि वह अपने अधिकार वापस पा सके।

इंद्रेश कुमार ने फारूक अब्दुल्लाह के बयान को विवादित बताते हुए कहा कि फारूक अब्दुल्लाह के इस बयान से पता लगता है कि वह हिंसा में विश्वास करते हैं शांति में नहीं। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बयान की भी आलोचना करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि झूठ बोलना उनके लिए फैशन बन गया है।

याद रहे कि महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर जम्मू कश्मीर के लोगों के दमन का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था। इंद्रेश कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर के यह नेता लोगों को भड़काने की राजनीति बंद करें और देश की एकता और अखंडता में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास ना करें।

दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे संघ नेता ने कहा कि अब्दुल्लाह का बयान स्पष्ट रूप से बयान करता है कि उन्हें हिंसा से प्यार है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री इस से पहले भी कह चुके हैं कि राज्य का विशेष दर्जा बहाल कराने के लिए चीन की मदद ली जाए। क्या हम इसे स्वीकार कर सकते हैं ? कभी नहीं, यह सरासर बकवास है।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि फारूक अब्दुल्लाह को यहां घुटन महसूस होती है तो वह जहां चाहते हैं वहां चले जाएं। अरब या अमेरिका। उनकी पत्नी इंग्लैंड में रहती हैं। वह अपनी पत्नी के साथ रहने के बारे में भी सोच सकते हैं। वहां वह खुश रह सकते हैं।

बता दें कि सोमवार को पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर के लोगों के कथित दमन के विरोध में सोमवार को जंतर मंतर पर धरना दिया था। वहीं फारूक अब्दुल्लाह ने भी हर रविवार को श्रीनगर में एक कार्यक्रम में कहा था कि जम्मू कश्मीर के लोगों को अपने अधिकार पाने के लिए आंदोलनरत किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है। हालाँकि अब्दुल्लाह ने स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी हिंसा का समर्थन नहीं करती है।

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