सुप्रीम कोर्ट की प्रथम महिला जज बनने वाली फातिमा बीबी का निधन
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति फातिमा बीबी का गुरुवार सुबह निधन हो गया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केरल के एक प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने 96 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली है।
फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज थी, लेकिन उनके इस मुकाम के पीछे काफी मेहनत भी है। फातिमा बीवी ने केरल से ही वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया था। उसके बाद वो 1983 में सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज बनी। बता दें कि उन्होंने अपने तिरुवनंतपुरम से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की है।
उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कालेज से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की और 14 नवंबर, 1950 में एक वकील के रूप में दाखिला लिया। फातिमा बीवी तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देने के बाद उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होकर राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी।
वह किसी भी उच्च न्यायपालिका में नियुक्त होने वाली पहली मुस्लिम महिला न्यायाधीश भी थीं। साथ ही एशिया में एक राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश का खिताब भी उन्हीं के नाम है। तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने से पहले फातिमा बीबी को तीन अक्तूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया था।
भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1950 में हुई थी। लेकिन पहली महिला जज की नियुक्ति 39 साल बाद हुई जब एम. फातिमा बीबी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इससे पहले वह 1983 में केरल हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त की गई थीं। वहां उन्होंने 6 साल यानी 1989 तक अपनी सेवा दी। हाई कोर्ट के
जज के पद से रिटायर होने के महज 6 महीने बाद ही उन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने जताया शोक
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में अपनी छाप छोड़ी।
महिलाओं के लिए आदर्श
न्यायाधीश फातिमा बीबी ने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान देशभर में महिलाओं के लिए एक आदर्श और नजीर के रूप में काम किया है। फातिमा बीबी का नाम ज्यूडिशरी ही नहीं, बल्कि देश के इतिहास में भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।