‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे पर खुद बीजेपी के नेताओं ने भी असहमत जताई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ न केवल पार्टी के सहयोगी दलों के लिए असमंजस का कारण बन रहा है, बल्कि खुद बीजेपी के भीतर भी इस नारे को लेकर असहजता बढ़ रही है। बीजेपी के कुछ नेताओं का कहना है कि ऐसे नारे उत्तर भारत में कारगर हो सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जो सूफी संतों और शिवाजी महाराज की भूमि है, यह उपयुक्त नहीं है।
बीजेपी की सहयोगी पार्टी एनसीपी (अजित पवार गुट) के प्रमुख अजित पवार ने पहले ही इस नारे पर नाराज़गी जाहिर की थी। अब बीजेपी की वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने भी इस पर असहमति जताई है। बीजेपी के नेता इस नारे का उपयोग महाराष्ट्र में कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह नारा सांप्रदायिक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे थोड़ा बदलकर ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा दिया है। हालांकि, सहयोगी दलों और खुद बीजेपी के कुछ नेताओं ने इस नारे को खारिज कर दिया है।
बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने इस नारे की सबसे पहले आलोचना की। उन्होंने कहा कि उनकी राजनीति अलग है और वह ऐसे नारों का समर्थन नहीं करेंगी, भले ही वह उसी पार्टी से जुड़ी हों। उनका मानना है कि हमें सिर्फ विकास के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, “एक नेता का काम हर व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करना है। ऐसे में हमें महाराष्ट्र में ऐसे मुद्दे नहीं लाने चाहिए।”
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता अशोक चव्हाण ने भी इस नारे पर असहमति जताई। कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए अशोक चव्हाण ने कहा, “यह नारा महाराष्ट्र में गैर-जरूरी है। यह नारा सही नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसे पसंद करेंगे। व्यक्तिगत रूप से, मैं ऐसे नारों का समर्थन नहीं करता।”
अजित पवार ने भी कहा कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करते। उनका मानना है कि यह नारा महाराष्ट्र में कारगर नहीं होगा। उन्होंने कहा, “यह उत्तर प्रदेश और झारखंड में काम कर सकता है, लेकिन महाराष्ट्र में नहीं।”
बीजेपी की एक और सहयोगी पार्टी, शिवसेना (शिंदे गुट), भी इस नारे से असहज है। उन्हें लगता है कि इसका असर अल्पसंख्यक वोटों पर पड़ सकता है और ये विपक्षी दलों के पक्ष में जा सकते हैं। इससे विकास और कल्याणकारी योजनाओं का संदेश कमजोर हो सकता है, जिस पर उनकी सरकार काम कर रही है।हालांकि, शिवसेना के किसी भी नेता ने इस नारे की सार्वजनिक आलोचना नहीं की है, लेकिन पार्टी के भीतर इसे लेकर चिंता है।
डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने आज इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण वास्तव में इस नारे के असली अर्थ को समझने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी की विभाजनकारी राजनीति का जवाब है। यह नारा हर किसी को एकजुट रहने की ज़रूरत पर ज़ोर देता है।


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