चुनाव आयोग को ईवीएम पर उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए: कांग्रेस

चुनाव आयोग को ईवीएम पर उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए: कांग्रेस

नई दिल्ली: कांग्रेस ने कहा है कि हाल ही में आम चुनावों के परिणामों के संबंध में एक विश्लेषण सामने आया है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी की बात कही गई है और चुनाव आयोग को इस पर उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव आयोग ईवीएम के परिणामों के बारे में किसी भी प्रकार के संदेह को खारिज करता है और यह दावा करता है कि वोटिंग मशीनों में कोई अनियमितता नहीं है, लेकिन हाल के विश्लेषण से पता चलता है कि प्रारंभिक और अंतिम चुनावी परिणामों में अंतर मिला है जो ईवीएम पर सवाल खड़े करता है।

प्रारंभिक चरण और अंतिम चरण में घोषित आंकड़ों में अंतर
संदीप दीक्षित ने कहा कि ‘वॉइस ऑफ डेमोक्रेसी’ नामक एक संगठन ने हाल के लोकसभा चुनावों के परिणामों पर एक विश्लेषण किया है। विश्लेषण के अनुसार प्रारंभिक चरण में घोषित किए गए आंकड़े और अंतिम चरण में घोषित आंकड़ों में अंतर है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों में छह प्रतिशत का अंतर है, तो क्या ये परिणाम सही थे? उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने हर चरण के अंतिम आंकड़े कई दिनों बाद दिए। यह तब है जब कहा जाता है कि ईवीएम से बेहतर कुछ नहीं है, ईवीएम के माध्यम से सब कुछ पता चलता है।

आश्चर्यजनक रूप से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 12.5 प्रतिशत वोट बढ़ जाता है
जब ईवीएम से वोटिंग शुरू होती है तो हर दो घंटे बाद यह डेटा चुनाव आयोग को भेजना पड़ता है कि बूथ पर कितनी वोटिंग हुई है। यदि हम राज्य स्तर पर देखें तो हमें पता चलेगा कि आश्चर्यजनक रूप से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 12.5 प्रतिशत वोट बढ़ जाता है। संयोग से ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बीजेपी और उसके गठबंधन ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन ईवीएम के इस दौर में अगर आंकड़ों में इतना अंतर है तो इससे पूरे चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं।

अगर संवैधानिक संस्था का काम लोकतंत्र को प्रभावित करता है तो उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए
दीक्षित के अनुसार इस बारे में जब चुनाव आयोग से पूछा गया तो आयोग ने जवाब दिया, ’’इंटरनेट जैसी समस्याओं के कारण पूरी जानकारी नहीं दे सकते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने एक और डेटा जारी किया था जिसका जवाब ही उन पर सवाल खड़े करता है। चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 में भी हम कुछ चरणों में देरी से डेटा प्रदान कर सके थे लेकिन उस समय भी सात बजे जारी होने वाले डेटा और अंतिम डेटा में एक प्रतिशत से भी कम अंतर था। आयोग एक संवैधानिक संस्था है और अगर संवैधानिक संस्था का काम सीधे तौर पर लोकतंत्र को प्रभावित करता है तो उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी बनती है।

उन्होंने कहा कि वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी होती है और सभी मानते हैं कि मशीनों में गड़बड़ी है, लेकिन चुनाव आयोग कहता है कि मशीनों में कोई खराबी नहीं है तो फिर ऐसा क्यों होता है कि जहां 907 वोट डाले गए वहां 970 वोट कैसे हो जाते हैं और जहां 970 वोट पड़ते हैं वहां 960 कैसे नजर आते हैं? संदीप दीक्षित ने कहा, “इस रिपोर्ट का कई तरीकों से विश्लेषण किया गया है। इससे पता चलता है कि कौन कितने अंतर से जीता है और कहां वोट का प्रतिशत कितना बढ़ा है। हम चुनाव आयोग से इस रिपोर्ट का जवाब मांगते हैं क्योंकि इस पर सवाल उठ रहे हैं। अगर चुनाव आयोग ने इस रिपोर्ट का संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो यह एक गंभीर सवाल बन जाएगा।

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