चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में सरासर झूठ बोला है: टीएमसी प्रवक्ता
नई दिल्ली। देश में इन दिनों लोकसभा का चुनाव चल रहा है और मतदान प्रतिशत के हिसाब से ही राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत हार का जोड़ घटाव लगाती हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का प्रतिशत 48 घंटे के भीतर सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई थी। वहीं इसको लेकर अब चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें इस याचिका का विरोध किया है।
चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि फॉर्म 17 सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) के आधार पर मतदाता मतदान डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा। इमेज के साथ छेड़छाड़ की संभावना है। यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है। पहले यह जानिए कि फॉर्म 17 सी क्या है।
फॉर्म 17सी भारतीय चुनावी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण वैधानिक दस्तावेज है, जो हर मतदान केंद्र पर महत्वपूर्ण विवरण दर्ज करता है। इनमें इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की पहचान संख्या, मतदान केंद्र को सौंपे गए पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या और रजिस्टर (फॉर्म 17 ए) के अनुसार वास्तव में मतदान करने वाले मतदाताओं की कुल संख्या शामिल होती है। इसके अतिरिक्त, यह उन मतदाताओं की संख्या को नोट करता है जिन्होंने रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद मतदान नहीं करना चुना या नोटा किया।
हर ईवीएम में दर्ज किए गए कुल वोट फॉर्म 17सी का भाग II विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें मतगणना के दिन दर्ज किया गया अंतिम गणना डेटा होता है। चुनाव आयोग न तो यह डेटा देना चाहता है, न वेबसाइट पर सार्वजनिक करना चाहता है। इस मुद्दे पर आगे बढ़ने से पहले जानिए कि टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले और मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने क्या कहा।
टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले ने गुरुवार 23 मई को एक ट्वीट में साफ शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में सरासर झूठ बोला है। गोखले ने मतदान केंद्र के रिटर्निंग अफसरों (ROs) को मिली हैंडबुक के हवाले से बताया है कि प्वाइंट 13.47.2 मतदान के समापन से संबंधित है। उसमें, यह साफ-साफ रूप से कहा गया है कि रिटर्निंग ऑफिसर को बस “क्लोज बटन दबाना” है। और इससे तुरंत फॉर्म 17 में दर्ज किए जाने वाले वोटों की कुल संख्या प्रदर्शित हो जाएगी। साकेत गोखले ने बताया कि इस काम में सिर्फ 3 सेकंड लगेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग झूठ बोल रहा है। कुल वोटों का डेटा छिपाया जा रहा है।
जाने-माने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसी बात को आसान तरीके से आलोचानात्मक लहजे में बताया। कपिल सिब्बल ने एक्स पर लिखा है- चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा: फॉर्म 17 अपलोड करने का कोई कानूनी आदेश नहीं है जो मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड है। सचमुच चौंकाने वाला है! यदि गिने गए वोट अपलोड किए गए हैं तो डाले गए वोट क्यों नहीं अपलोड किए जा सकते? ऐसे आयोग पर हम कैसे भरोसा करें! यानी सिब्बल का कहना है कि अगर आप टोटल गिन गए वोट बता रहे हैं तो डाले गए वोट बताने से क्यों पीछे हट रहे हैं।
चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत का अंतिम आंकड़ा कई दिन बाद जारी करते हुए उसे बढ़ा दिया। उससे कई लाख वोटों का अंतर आ गया। यह मुद्दा भी गंभीर है। कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि देश में वोटिंग के बाद मतदान प्रतिशत के बढ़ने का मामला गंभीर है। चार चरणों के चुनाव के बाद लगातार मतदान प्रतिशत के आंकड़ें बढ़ते गए और क़रीब 1 करोड़ वोट बढ़ गए। ये बात लोगों के मन में संशय पैदा करती है और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली पर सवाल खड़े करती है। एडीआर ने भी इस मामले को उठाया है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगते हुए कहा है कि- ऐसा कैसे संभव है? चुनाव आयोग को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि देश में पिछले चार चरण के मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को लेकर मतदाताओं के मन में कई सवाल और संदेह है। पहले तो चुनाव आयोग मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को सार्वजनिक करने में देरी करता है। फिर उन आंकड़ों में और मतदान की शाम के आंकड़ों में 1 करोड़ 7 लाख मतों का अंतर आ जाता है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। चुनाव आयोग को इन सवालों का जवाब देना चाहिए। चुनाव आयोग पर सवाल उठने इसलिए भी स्वाभाविक हैं, क्योंकि चुनाव आयोग लाखों EVM मशीनों के लापता होने पर भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं देता है।