देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्रालय के योग्य नहीं: संजय राउत
मुंबई: शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय के योग्य नहीं हैं। जब तक राज्य में फडणवीस गृहमंत्री हैं, किसी भी मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। राउत ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बीजेपी के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के बेटे संकेत बावनकुले की गाड़ी से 5 गाड़ियों को टक्कर मारने और 4 लोगों को घायल करने के मामले पर टिप्पणी करते हुए ये बातें कहीं।
गौरतलब है कि सोमवार रात नागपुर में चंद्रशेखर बावनकुले के बेटे संकेत बावनकुले अपने कुछ साथियों के साथ अपनी कार में जा रहे थे, तभी उनकी गाड़ी ने एक के बाद एक 5 गाड़ियों को टक्कर मार दी, जिससे 4 लोग घायल हो गए। पुलिस ने ड्राइवर समेत 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन संकेत अपने बाकी 3 साथियों के साथ फरार हो गए। उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया, जिससे लोगों में नाराजगी है और विपक्ष ने भी बीजेपी और पुलिस को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
संजय राउत ने कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार बीजेपी के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के बेटे संकेत बावनकुले ने शराब पी रखी थी और नागपुर में उसने अपनी कार से 2 लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। हैरानी की बात यह है कि उसका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं है, जबकि हादसे के बाद कार की नंबर प्लेट भी हटा दी गई।”
उन्होंने कहा, “कार बावनकुले के बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड है, इसलिए उसकी नंबर प्लेट हटा दी गई। देवेंद्र फडणवीस, जिनका ताल्लुक नागपुर से ही है, गृह मंत्रालय को प्रभावी ढंग से चलाने में असफल रहे हैं। वे इस पद के योग्य नहीं हैं।”सांसद ने सीधे आरोप लगाया कि जब तक देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्री हैं और रश्मि शुक्ला पुलिस महानिदेशक हैं, किसी भी मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
कर्मचारी को बलि का बकरा बनाने की प्रथा शुरू हो गई
महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने भी नंबर प्लेट का मामला उठाया है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि इस समय राज्य में अमीरजादों द्वारा हादसे के बाद कर्मचारी को बलि का बकरा बनाने की प्रथा शुरू हो गई है। विजय वडेट्टीवार ने कहा, “मालिक का बेटा शराब पीकर लोगों की जान ले ले और आरोप ड्राइवर के सिर मढ़ दिया जाए। कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाने की प्रथा शुरू हो गई है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “अगर ड्राइवर ने शराब पी रखी थी और इसकी वजह से यह हादसा हुआ था, तो वह कौन बेवकूफ था जिसने गाड़ी की नंबर प्लेट निकालकर गाड़ी के अंदर रख ली?” उन्होंने कहा, “इन लोगों को सत्ता का नशा इस कदर चढ़ा हुआ है कि किसी की जान जाने की भी परवाह नहीं रही।” वडेट्टीवार ने मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की।
एफआईआर में बावनकुले के बेटे का नाम क्यों नहीं?
शिवसेना की महिला प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने भी इस हादसे के संबंध में कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि “मैंने पहले ही कहा था कि जिस ऑडी कार से हादसा हुआ वह चंद्रशेखर बावनकुले के बेटे के नाम पर थी। खुद चंद्रशेखर बावनकुले ने भी आज (मंगलवार को) इस बात को स्वीकार किया कि गाड़ी उनके बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड है। अगर ऐसा है तो एफआईआर में गाड़ी का नंबर क्यों दर्ज नहीं किया गया?
गाड़ी के कागजात पुलिस स्टेशन में जमा क्यों नहीं कराए गए? और एफआईआर में संकेत बावनकुले का नाम क्यों नहीं आया?” उन्होंने कहा कि अगर चंद्रशेखर बावनकुले का दावा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी, तो फिर एफआईआर में संकेत बावनकुले का नाम शामिल किया जाना बेहद जरूरी है।
क्या जनता की जान सस्ती हो गई है?
इस दौरान कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे नेताओं के बेटों की नजर में जनता की जान सस्ती हो गई है। लोगों ने अपनी आंखों से देखा कि गाड़ी की नंबर प्लेट निकालकर गाड़ी के अंदर रखी गई, इसके बाद भी पुलिस संकेत बावनकुले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, बल्कि उसे बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार अपराधियों और चोरों को संरक्षण दे रही है, जिसकी कीमत उसे चुकानी पड़ेगी।
गौरतलब है कि चंद्रशेखर बावनकुले ने इस बात को स्वीकार किया है कि गाड़ी उनके बेटे के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इसके बावजूद पुलिस ने उनके बेटे पर मामला दर्ज नहीं किया, जबकि वह खुद भी गाड़ी में मौजूद था।