दिल्ली पुलिस का तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ दुर्व्यवहार लोकतंत्र के लिए काला दिन: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कृषि भवन स्थित ग्रामीण विकास मंत्रालय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ दिल्ली पुलिस द्वारा मारपीट करने और उन्हें जबरन हटाने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के नेता और जन प्रतिनिधि जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं उनके साथ क्रूर व्यवहार किया गया। यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास के लिए एक काला दिन है।
बता दें कि दिल्ली पुलिस कृषि भवन स्थित ग्रामीण विकास मंत्रालय कार्यालय सामने प्रदर्शन कर रहे तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पास पहुंची और पहले धरना खत्म करने की अपील की, फिर धरने पर अड़े तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को एक-एक कर हटाना शुरू कर दिया। इसी बीच पुलिस और नेताओं के बीच झड़प हो गई। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके मोबाइल फोन छीन लिए गए। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल वेबसाइट ‘एक्स’ पर एक लंबा पोस्ट कर केंद्र सरकार की आलोचना की।
केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री द्वारा मिलने से इनकार किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय सचिव अभिषेक बनर्जी और अन्य तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने मंगलवार को कृषि भवन में धरना शुरू कर दिया। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अभिषेक बनर्जी समेत अन्य नेताओं को जेल वैन में घसीट कर ले जाया गया। फिर उन्हें उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां लगभग दो घंटे तक उन्हें हिरासत में रखा गया और फिर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को रिहा कर दिया गया।
एक्स पर ममता बनर्जी ने लिखा कि “आज लोकतंत्र के लिए एक काला और अशुभ दिन है। भाजपा की बंगाल की जनता के प्रति नफरत, गरीबों के अधिकारों के प्रति अपमानजनक रवैया उजागर हो गया है। लोकतांत्रिक मूल्यों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। उन्होंने यह भी लिखा कि इससे पहले, उन्होंने बंगाल के गरीबों के लिए निर्धारित महत्वपूर्ण धनराशि रोक दी थी। जब हमारे प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने और लोगों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करने का फैसला किया, तो उनके साथ क्रूर व्यवहार किया गया।
दिल्ली पुलिस ने भाजपा की शाखा के रूप में काम करते हुए हमारे प्रतिनिधियों को बेरहमी से परेशान किया। विरोध कर रहे पार्टी नेताओं को जबरन हटा दिया गया और अपराधियों की तरह पुलिस वैन में ले जाया गया। इन नेताओं का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने सत्ता के सामने सच बोलने का साहस दिखाया था। इनके अहंकार की कोई सीमा नहीं है। घमंड ने इन्हें अंधा कर दिया है। बंगाल की आवाज को दबाने के लिए सारी हदें पार कर दी गई हैं। अंत में उन्होंने लिखा है, ”लेकिन हम डरेंगे नहीं, हम डरेंगे नहीं, दो बजे से पहले हम मरेंगे नहीं, भाई हम मरेंगे नहीं।